पिछले कुछ वक्त से महिलाओं के लिए बॉलीवुड में हालात बेहतर हुए : माधुरी दीक्षित नेने |

पिछले कुछ वक्त से महिलाओं के लिए बॉलीवुड में हालात बेहतर हुए : माधुरी दीक्षित नेने

पिछले कुछ वक्त से महिलाओं के लिए बॉलीवुड में हालात बेहतर हुए : माधुरी दीक्षित नेने

:   Modified Date:  November 25, 2024 / 06:02 PM IST, Published Date : November 25, 2024/6:02 pm IST

मुंबई, 25 नवंबर (भाषा) बॉलीवुड अभिनेत्री माधुरी दीक्षित नेने ने कहा कि 80 और 90 के दशक के बाद से बॉलीवुड में हालात कुछ बेहतर हुए हैं क्योंकि बड़ी संख्या में महिलाएं फिल्म जगत के विभिन्न क्षेत्रों में आई हैं यहां तक कि उन्होंने फिल्म निर्माण क्षेत्र में भी हाथ आजमाए हैं।

वर्ष 1984 में ‘अबोध’ फिल्म से अपने करियर की शुरुआत करने वाली और ‘दिल तो पागल है’, ‘तेजाब’, ‘बेटा’ और ‘राजा’ जैसी फिल्मों में दमदार अभिनय से लोगों के बीच प्रसिद्धी हासिल करने वाली माधुरी ने उस वक्त को याद किया, जब फिल्म सेट पर महिलाएं केवल कलाकार या फिर उनकी हेयरड्रेसर ही हुआ करती थीं।

माधुरी ने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ साक्षात्कार में कहा, “महिलाओं ने एक लंबा सफर तय किया है भले ही शुरुआत छोटे-छोटे कदम से ही हुई हो। जब मैं 80 और 90 के दशक में काम करती थी, तब सेट पर केवल मैं, मेरी सह-कलाकार या फिर हेयरड्रेसर ही महिलाएं होती थीं। लेकिन आज जब मैं किसी सेट पर जाती हूं तो डीओपी से लेकर एडी, लेखक और एक्शन मास्टर तक हर जगह महिलाएं‍ होती हैं। मैं सोच भी नहीं सकती थी कि महिलाएं इस क्षेत्र में होंगी। ये आश्चर्यजनक है।”

माधुरी ने फिल्म जगत में धीरे-धीरे हो रहे इस बदलाव की सराहना करते हुए कहा कि महिलाएं अब सिर्फ ‘आकर्षक’ मानी जाने वाली चीजों से हटकर अलग-अलग तरह की भूमिकाएं निभाने लगी हैं और अब वे फिल्म निर्माण भी कर रही हैं।

उन्होंने कहा, “हम महिलाओं को एक्शन भूमिकाओं में भी देख रहे हैं, जो आश्चर्यजनक है। जैसे ‘गुलाब गैंग’ में मैंने एक्शन भूमिका निभाई थी और वह फिल्म महिला प्रधान फिल्म थी। लेकिन हमें ज्यादा व्यावसायिक फिल्में बनाने की जरूरत है, जिसमें महिलाएं मुख्य भूमिकाओं में हों। यह धीरे-धीरे होगा।”

हाल के वर्षों में आलिया भट्ट, कृति सनोन और कंगना रनौत ने फिल्म निर्माण क्षेत्र का रुख किया है।

माधुरी ने कि बदलाव के बावजूद यह रातों-रात नहीं होगा। उन्होंने कहा, “चाहे बदलाव यहां हो या विदेश में या कहीं और एक हद तक यह पुरुषों की दुनिया है। इसे बदलने में कुछ समय लगेगा और हम आगे बढ़ रहे हैं।”

भाषा जितेंद्र रंजन

रंजन

 

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