मुंबई, पांच सितंबर (भाषा) बम्बई उच्च न्यायालय ने कहा है कि पश्चिम रेलवे (डब्ल्यूआर) के बोरीवली और विरार स्टेशनों के बीच पांचवीं और छठी लाइन के निर्माण से यातायात की भीड़ कम होगी, उत्सर्जन में कमी आएगी और ईंधन की बचत होगी। इसके साथ ही अदालत ने इस परियोजना के लिए मैंग्रोव को काटने की अनुमति प्रदान कर दी है।
मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की खंडपीठ ने पश्चिम रेलवे को मुंबई उपनगरीय रेल मार्ग पर नयी लाइन बिछाने के लिए आवश्यक भूमि पर 2,612 मैंग्रोव काटने की अनुमति दी।
तीस अगस्त को जारी यह आदेश बृहस्पतिवार को उपलब्ध हो सका। इस आदेश में कहा गया है कि यह परियोजना पूरी तरह से जनहित में है और इससे महत्वपूर्ण पारिस्थितिकीय लाभ भी हैं।
एक पुराने फैसले के अनुसार, मुंबई क्षेत्र में मैंग्रोव को हटाने के लिए उच्च न्यायालय की अनुमति की आवश्यकता होती है।
पश्चिम रेलवे ने मैंग्रोव को काटने की अनुमति के लिए याचिका दायर की थी। इसमें कहा गया है कि पांचवीं और छठी लाइन के निर्माण से अतिरिक्त सेवाओं की मांग पूरी होगी।
उच्च न्यायालय ने कहा कि पर्यावरणीय परिणामों की तुलना में व्यापक जनहित का पलड़ा भारी है, क्योंकि संबंधित निर्माण से मौजूदा लाइन पर भीड़भाड़ कम होगी।
अदालत ने कहा, ‘‘रेलवे प्रणाली जन परिवहन का एक पर्यावरण-अनुकूल तरीका है और दुनिया में सबसे किफायती परिवहन संसाधनों में से एक है। इन लाइन के निर्माण से उत्सर्जन में कमी आएगी, यातायात की भीड़भाड़ कम होगी और कीमती ईंधन की बचत होगी।’’
खंडपीठ ने कहा कि यह परियोजना बिल्कुल आवश्यक थी और इसका कोई व्यवहार्य विकल्प नहीं था, क्योंकि निर्माण स्थल मौजूदा पटरियों से सटा हुआ है। इसने कहा, ‘‘संरेखण (अलाइनमेंट) को तकनीकी, आर्थिक और कार्यात्मक दृष्टिकोण से सबसे उपयुक्त माना गया है।’’
खंडपीठ ने पारिस्थितिकीय नुकसान की भरपाई के लिए रेलवे अधिकारियों को 7,823 मैंग्रोव फिर से लगाने का निर्देश दिया।
मुंबई शहरी परिवहन परियोजना (एमयूटीपी) के चरण तीन-ए के तहत बोरीवली और विरार के बीच पांचवीं और छठी रेलवे लाइन का निर्माण 2,184 करोड़ रुपये की लागत से किया जा रहा है।
छब्बीस किलोमीटर लंबी लाइन से पश्चिमी उपनगरों से आगे रेलगाड़ियों की आवृत्ति बढ़ने की उम्मीद है।
वर्तमान में मुंबई सेंट्रल और बोरीवली के बीच पांच लाइन हैं, और छठी लाइन निर्माणाधीन है। बोरीवली से विरार तक केवल चार लाइन हैं।
मैंग्रोव मुख्य रूप से तटीय खारे पानी में उगने वाली झाड़ी या पेड़ होते हैं।
भाषा सुरेश नरेश
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