पुणे: महाराष्ट्र के पिंपरी चिंचवड स्थित ‘टाटा मोटर्स’ के कारखाने के श्रमिकों ने कंपनी के दिवंगत अध्यक्ष रतन टाटा को श्रद्धांजलि देने के लिए बृहस्पतिवार को काम जारी रखा। (Tata plant did not close even after Ratan Tata’s death) बता दें कि, टाटा का बुधवार रात मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया। वह 86 वर्ष के थे।
टाटा मोटर्स कर्मचारी संघ के महासचिव अजीत पैगुडे ने कहा, ‘‘जब जेआरडी टाटा का निधन हुआ था, तब (रतन) टाटा जी का मानना था कि संयंत्र में काम बंद नहीं होना चाहिए और इससे देश को नुकसान नहीं होना चाहिए। भले ही प्रत्येक कर्मचारी (रतन) टाटा जी के निधन से शोक में है, लेकिन उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए कारखाने में आज पूरी क्षमता से उत्पादन जारी रहा।’’ उन्होंने कहा कि कर्मचारियों ने शोक व्यक्त किया लेकिन उन्होंने अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया। पैगुडे ने कहा, ‘‘कल हमने परिसर में एक शोक सभा आयोजित की है, क्योंकि बहुत से कर्मचारी अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए मुंबई गए थे।’’
रतन टाटा को श्रद्धांजलि देने वालों का तांता लगा रहा। सोशल मीडिया से लेकर भौतिक तौर पर प्रशंसकों ने उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किया। निधन के खबर के तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन अलग-अलग ट्वीट किये और उनके साथ बिताये लम्हों को याद कर उनके निधन पर शोक प्रकट किया। (Tata plant did not close even after Ratan Tata’s death) इसी बीच जी ग्रुप के मालिक और पूर्व सांसद सुभाष चंद्रा ने भी अपने मित्र रतन टाटा को याद किया।
वही एक साक्षात्कार में सुभाष चंद्रा ने रतन टाटा के जीवन पर एक बायोग्राफिकल फिल्म बनाने का ऐलान किया है। उन्होंने आगे कहा, ‘जी ग्रुप ने आज निर्णय लिया है, उनके ऊपर, उनके जीवन के ऊपर एक बायोग्राफिकल फिल्म बनाई जाएगी, जोकि जी5 पर तो चलेगी ही. बाकी जी के जितनी भी भाषाओं के नेटवर्क हैं, उन सभी भाषाओं में फिल्म बनेगी। पूरे देश और दुनिया को वियोन के माध्यम से वह फिल्म दिखाई जाएगी.’
जी ग्रुप के संस्थापक सुभाष चंद्रा ने रतन टाटा के निधन पर अपना शोक व्यक्त किया। कारोबारी सुभाष चंद्रा ने रतन टाटा के साथ अपने संबंधो को लेकर कहा, ‘बहुत लोगों को ये मालूम नहीं है कि एक मीडिया का प्रमोटर होने के नाते, वह मुझसे बहुत आशाएं रखते थे और वह कहते भी थे। इस वजह से कुछ विषयों पर वह मुझसे सलाह भी करते थे। मैं भी कुछ चीजों पर उनसे सलाह लेता था। बड़े ही बेबाक किस्म के आदमी थे। (Tata plant did not close even after Ratan Tata’s death) उनको जो चीज जंची, ठीक लगी तो हां कहते थे। नहीं तो वो ना भी कहते थे और कभी-कभी वह डांट भी देते थे। उनकी इस तरह की पर्सनैलिटी थी। एक सच्चा मित्र जिसको कह सकते हैं क्योंकि सच्चा मित्र ही आपको डांट सकता है। इस तरह का मेरा बॉन्ड उनके साथ था।
I’m deeply saddened to know about #Ratan ji’s demise.His visionary leadership & impact on Indian industry were profound.I regularly interacted with him on corporate issues & will always cherish his legacy of innovation & social responsibility. My condolences to his family.
— Subhash Chandra (@subhashchandra) October 10, 2024