(फाइल फोटो के साथ)
मुंबई, आठ अप्रैल (भाषा) अडाणी समूह के समर्थन में सामने आने के एक दिन बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार ने शनिवार को कहा कि वह अडाणी समूह के खिलाफ आरोपों की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच के पूरी तरह से खिलाफ नहीं हैं, लेकिन इस संबंध में उच्चतम न्यायालय की एक समिति अधिक उपयुक्त और प्रभावी होगी।
पवार ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उन्हें अमेरिका स्थित ‘हिंडनबर्ग रिसर्च’ के पिछले इतिहास की जानकारी नहीं है, जिसने अरबपति गौतम अडाणी की कंपनियों में शेयर और लेखांकन में हेरफेर तथा धोखाधड़ी का आरोप लगाया है।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं पूरी तरह से जेपीसी के खिलाफ नहीं हूं … कई बार जेपीसी गठित हुई है और मैं कुछ जेपीसी का अध्यक्ष भी रहा हूं। जेपीसी का गठन (संसद में) बहुमत के आधार पर किया जाएगा। मेरा विचार है कि जेपीसी के बजाय उच्चतम न्यायालय की समिति अधिक उपयुक्त और प्रभावी होगी।’’
राकांपा प्रमुख ने कहा कि हालांकि 18-19 विपक्षी दल अडाणी मुद्दे पर एक साथ आए हैं, लेकिन उनमें से सभी को जेपीसी में प्रतिनिधित्व नहीं मिलेगा, क्योंकि उनमें से कुछ के पास संसद में केवल एक या दो सदस्य हैं।
पवार ने कहा कि अगर जेपीसी में 21 सदस्य हैं, तो संसद में संख्या बल के कारण 15 सत्ता पक्ष से और छह विपक्षी दलों से होंगे, जिससे समिति संदेह के दायरे में रहेगी।
उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत ने एक विशिष्ट समय अवधि में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश के साथ उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की एक समिति गठित करने का फैसला किया है।
पवार ने कहा, ‘‘एक विदेशी कंपनी देश में स्थिति के बारे रुख सामने रखती है। हमें यह तय करना चाहिए कि इस पर कितना ध्यान दिया जाना चाहिए। इसके (जेपीसी के) बजाय उच्चतम न्यायालय की एक समिति अधिक प्रभावी होगी।’’
एक निजी समाचार चैनल के साथ एक साक्षात्कार में पवार ने अडाणी समूह पर ‘हिंडनबर्ग रिसर्च’ की रिपोर्ट को लेकर बयानबाजी की आलोचना की थी।
शनिवार को इस सवाल के जवाब में कि क्या उन्होंने टीवी साक्षात्कार में अडाणी समूह का समर्थन किया था, पवार ने कहा कि उन्होंने ऐसा कुछ नहीं कहा था।
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने पहले कहा था कि जब हम सरकार पर हमला करते थे, तो हम टाटा-बिरला का नाम लेते थे। अब हम ये नाम नहीं लेते, लेकिन टाटा ने देश के विकास में योगदान दिया है।’’
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देश के लोग बेरोजगारी, महंगाई और किसानों की समस्याओं जैसे गंभीर मुद्दों का सामना कर रहे हैं।
इस बीच शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने शनिवार को कहा कि अडाणी ग्रुप के विरुद्ध आरोपों की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के गठन का राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार द्वारा समर्थन न किये जाने से विपक्षी एकता में कोई दरार नहीं आयेगी।
शिवसेना (यूबीटी) के राज्यसभा सदस्य संजय राउत ने संवाददाताओं से कहा कि पवार ने कोई क्लीनचिट नहीं दी है, बल्कि इस बात पर अपनी राय प्रकट की है कि जांच कैसे की जाए।
भाषा
देवेंद्र सुरेश
सुरेश
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