जलगांव ट्रेन दुर्घटना में मरने वाले 13 लोगों में से सात नेपाली |

जलगांव ट्रेन दुर्घटना में मरने वाले 13 लोगों में से सात नेपाली

जलगांव ट्रेन दुर्घटना में मरने वाले 13 लोगों में से सात नेपाली

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Modified Date: January 23, 2025 / 06:54 PM IST
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Published Date: January 23, 2025 6:54 pm IST

जलगांव (महाराष्ट्र), 23 जनवरी (भाषा) महाराष्ट्र के जलगांव जिले में हुई ट्रेन दुर्घटना में जान गंवाने वाले 13 लोगों में से सात नेपाली हैं। एक अधिकारी ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।

जिला सूचना अधिकारी युवराज पाटिल ने बताया कि 13 में से 11 पीड़ितों की पहचान हो गई है और उनमें से सात नेपाल के हैं। इससे पहले अधिकारियों ने पड़ोसी देश के मृतकों की संख्या चार बताई थी।

लच्छीराम खतरू पासी उन सात लोगों में से एक थे। उनके परिवार को न केवल उनकी मौत का दुख झेलना पड़ा, बल्कि उन्हें क्षत-विक्षत शव से उनकी पहचान करने की अत्यंत दर्दनाक प्रक्रिया से भी गुजरना पड़ा।

हादसा बुधवार शाम हुआ जब मुंबई जाने वाली पुष्पक एक्सप्रेस के कुछ यात्री चेन खींचे जाने की घटना के बाद ट्रेन से उतर गए और बगल की पटरी पर खड़े होने के दौरान कर्नाटक एक्सप्रेस की चपेट में आ गए।

दुर्घटना में जीवित बचे पासी के साथियों ने बताया कि किस तरह वे खुद को बचाने के लिए दो ट्रेनों के बीच की तंग जगह में सिमटे रहे।

इससे पहले, चार नेपाली पीड़ितों की पहचान मुंबई के कोलाबा की निवासी कमला नवीन भंडारी (43), ठाणे के भिवंडी में रहने वालीं जवाकला भाटे (60), लच्छीराम खतरू पासी (40) और इम्तियाज अली (11) के रूप में हुई थी। अधिकारियों द्वारा उपलब्ध कराई गई सूची में यह जानकारी दी गई है।

जलगांव में रहने वाले पासी के भतीजे रामरंग पासी ने बताया कि उनके चाचा नेपाल के बांके जिले के नारायणपुर के रहने वाले थे और उनकी उम्र 50 वर्ष के आसपास थी।

रामरंग ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘उनके हाथ और पैर के कुछ हिस्से नहीं मिले हैं।’

रामरंग ने बताया कि उनके चाचा नेपाल से लखनऊ होते हुए ठाणे जा रही पुष्पक एक्सप्रेस में पांच अन्य लोगों के साथ यात्रा कर रहे थे और सभी दिहाड़ी मजदूर थे। उन्होंने बताया कि पासी को छोड़कर बाकी सभी बच गए।

रामरंग ने बताया कि उन्होंने अपने चाचा को उनके चेहरे और कपड़ों से पहचाना, लेकिन यह दृश्य इतना भयावह था कि एक पल के लिए उनके जेहन में सन्नाटा छा गया।

उन्होंने बताया कि वे अपने चाचा के पार्थिव शरीर को नेपाल में उनके पैतृक स्थान पर ले जाना चाहते हैं।

लच्छीराम के साथ यात्रा कर रहे नेपाल के एक श्रमिक शौकत अली ने भयावह घटना को याद करते हुए कहा, ‘ट्रेन में आग लगने की अफवाह फैली थी। हमने बोगी के अंदर धुआं देखा। जब ट्रेन धीमी हुई तो हम जल्दी से नीचे उतर गए और ट्रेन खाली हो गई।’

उन्होंने कहा कि जैसे ही वे नीचे उतरे, कुछ ही मिनटों में विपरीत दिशा से आ रही दूसरी ट्रेन उनके पास आ गई।

उन्होंने बताया कि इससे पहले कि वे समझ पाते कि क्या हो रहा है, सभी लोग अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे।

अली ने कहा, ‘हमें दोनों ट्रेनों के बीच छोटी सी जगह मिली और हम एक-दूसरे को कसकर पकड़कर वहीं लेट गए, इसलिए हम बच गए।’

घायलों में से 10 का इलाज किया जा रहा है। इनमें से नौ का इलाज पचोरा सिविल अस्पताल में और एक का जलगांव शहर के एक चिकित्सा केंद्र में हो रहा है। एक अधिकारी ने बताया कि मामूली रूप से घायल अन्य लोगों को छुट्टी दे दी गई।

एक अधिकारी ने बताया कि मध्य रेलवे की एक टीम ने बुधवार रात अस्पतालों का दौरा किया और नौ घायल यात्रियों को कुल 2.70 लाख रुपये की अनुग्रह राशि वितरित की।

यह दुर्घटना बुधवार को शाम करीब 4:45 बजे पचोरा कस्बे के पास माहेजी और परधाड़े स्टेशनों के बीच हुई। रेलवे बोर्ड के सूचना एवं प्रचार विभाग के कार्यकारी निदेशक दिलीप कुमार ने इस बात से इनकार किया कि कोच के अंदर किसी चिंगारी या आग लगने के कारण यात्रियों ने अलार्म चेन खींची।

भाषा जोहेब माधव

माधव

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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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