चुनौतियों के बावजूद आरएसएस स्वयंसेवक मणिपुर में स्थिति सामान्य करने के लिए काम कर रहे: भागवत |

चुनौतियों के बावजूद आरएसएस स्वयंसेवक मणिपुर में स्थिति सामान्य करने के लिए काम कर रहे: भागवत

चुनौतियों के बावजूद आरएसएस स्वयंसेवक मणिपुर में स्थिति सामान्य करने के लिए काम कर रहे: भागवत

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Modified Date: September 5, 2024 / 10:18 PM IST
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Published Date: September 5, 2024 10:18 pm IST

पुणे, पांच सितंबर (भाषा) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने बृहस्पतिवार को कहा कि मणिपुर में चुनौतीपूर्ण स्थिति और सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं होने के बावजूद संगठन के स्वयंसेवक संघर्षग्रस्त पूर्वोत्तर राज्य में मजबूती से डटे हैं।

भागवत शंकर दिनकर काणे (जिन्हें भैयाजी के नाम से भी जाना जाता है) की शताब्दी वर्ष के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर थे। काणे ने मणिपुर में काम किया, 1971 तक बच्चों की शिक्षा पर ध्यान केंद्रित किया, छात्रों को महाराष्ट्र लाए और उनके रहने की व्यवस्था की थी।

संघ प्रमुख ने कहा, “मणिपुर में स्थिति बहुत कठिन है। सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है। स्थानीय लोग अपनी सुरक्षा को लेकर सशंकित हैं। जो लोग वहां व्यापार या सामाजिक कार्य के लिए गए हैं, उनके लिए स्थिति और भी चुनौतीपूर्ण है, लेकिन ऐसी परिस्थितियों में भी संघ के स्वयंसेवक मजबूती से तैनात हैं और दोनों गुटों की सेवा कर रहे हैं तथा स्थिति को शांत करने का प्रयास कर रहे हैं।”

भागवत ने कहा कि संघ के स्वयंसेवक न तो उस राज्य से भागे हैं और न ही निष्क्रिय बैठे हैं, बल्कि वे वहां जीवन को सामान्य बनाने, दोनों समूहों के बीच क्रोध और द्वेष को कम करने तथा राष्ट्रीय एकता की भावना सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, “एनजीओ सब कुछ नहीं संभाल सकते, लेकिन संघ अपनी ओर से हरसंभव प्रयास कर रहा है। वे संघर्ष में शामिल सभी पक्षों से बातचीत कर रहे हैं। नतीजतन, उन्होंने उनका (लोगों का) विश्वास हासिल कर लिया है। इस विश्वास का कारण यह है कि स्थानीय लोगों ने वर्षों से काणे जैसे लोगों के काम को देखा है।”

संघ प्रमुख ने कहा, “हम सभी भारत को वैश्विक मुद्दों पर काम करने वाला देश बनाने की बात करते हैं, लेकिन यह केवल काणे जैसे लोगों की तपस्या के कारण ही संभव है।”

उन्होंने कहा कि लगभग 15 वर्ष पहले ‘पूर्वांचल’ क्षेत्र को “समस्याओं वाला क्षेत्र” कहा जाता था और कुछ चरमपंथी समूह तो अलग होने की भाषा भी बोलते थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और क्षेत्र में बदलाव आया।

भागवत ने कहा, “लोगों में स्वधर्म की भावना व्याप्त है। हम भारत के हैं, यह भावना मजबूत होती जा रही है। मणिपुर जैसे राज्यों में आज जो अशांति हम देख रहे हैं, वह कुछ लोगों का काम है जो प्रगति के मार्ग में बाधाएं उत्पन्न करना चाहते हैं। लेकिन उनकी योजना सफल नहीं होगी।”

आरएसएस प्रमुख ने कहा कि जब 40 साल पहले स्थिति बदतर थी, तब लोग वहीं रुके, काम किया और स्थिति को बदलने में मदद की।

उन्होंने कहा, “संघ के सदस्य, चाहे वे स्वयंसेवक हों या प्रचारक, वहां गए, उस क्षेत्र का हिस्सा बन गए और परिवर्तन लाने के लिए काम किया।”

भागवत ने कहा कि जिस भारत का सपना देखा गया है, उसे साकार करने में दो और पीढ़ियां लगेंगी।

उन्होंने कहा, “इस रास्ते में हमें उन लोगों की ओर से बाधाओं का सामना करना पड़ेगा जो भारत के उत्थान से ईर्ष्या करते हैं। लेकिन हमें इन बाधाओं को पार करते हुए आगे बढ़ना होगा।”

भाषा नोमान माधव

माधव

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)