दुनिया की सैर का मेरा सपना पूरा करने में रतन टाटा ने की थी मदद : पूर्व पत्रकार |

दुनिया की सैर का मेरा सपना पूरा करने में रतन टाटा ने की थी मदद : पूर्व पत्रकार

दुनिया की सैर का मेरा सपना पूरा करने में रतन टाटा ने की थी मदद : पूर्व पत्रकार

:   Modified Date:  October 10, 2024 / 05:30 PM IST, Published Date : October 10, 2024/5:30 pm IST

मुंबई, 10 अक्टूबर (भाषा) पूर्व पत्रकार विष्णुदास चापके ने 2016 में दुनिया की यात्रा करने का फैसला किया, तो उन्होंने ‘क्राउडफंडिंग’ (लोगों से छोटी छोटी आर्थिक मदद) का सहारा लिया। लेकिन यह यात्रा लगातार चुनौतीपूर्ण होती गई क्योंकि उन्हें पैसे की कमी का सामना करना पड़ा और उन्हें इसे बीच में ही रद्द करने का भी विचार आया।

लेकिन उन्होंने रतन टाटा की उदारतापूर्ण मदद की बदौलत दुनिया भर में यात्रा करने का अपना सपना पूरा किया। चापके ने बृहस्पतिवार को टाटा के निधन के बाद उन्हें याद करते हुए यह किस्सा साझा किया।

चापके उन अनगिनत लोगों में से एक हैं जिनके जीवन में रतन टाटा के परमार्थ कार्यों ने उजाला किया।

टाटा समूह को वैश्विक स्तर पर प्रसिद्ध समूह बनाने का श्रेय रतन टाटा को जाता है। उनका बुधवार रात मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया।

चापके ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘रतन टाटा की उदारतापूर्ण मदद के कारण ही मेरी यात्रा पूरी हो सकी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘भारत ने एक ऐसा बेटा खो दिया है जो कुछ अलग करने की हिम्मत दिखा रहे आम लोगों के सपनों को पूरा कर रहा था।’’

चापके ने कहा कि वह चिली में थे और वित्तीय समस्याओं से जूझ रहे थे, तभी टाटा ट्रस्ट्स से आए एक फोन कॉल ने उनका मनोबल बढ़ाया और उनकी यात्रा को गति दी।

चापके (42) ने याद करते हुए कहा, ‘टाटा ने मेरे प्रयासों और मेरे सपनों को पूरा करने के संघर्ष के बारे में पढ़ा था। चिली में रहने के दौरान मुझे टाटा ट्रस्ट से फोन आया और पूछा गया कि क्या मैंने अपना बैंक खाता चेक किया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘खाते में शेष राशि का पता लगाने की लागत 2 डॉलर से अधिक थी। इसलिए, मैंने अधिकारी से कहा कि मैं महाराष्ट्र के परभणी जिले में अपनी बहन के माध्यम से इसे चेक करवा लूंगा।’’

अधिकारी ने हंसते हुए कहा कि टाटा ट्रस्ट उनकी यात्रा को प्रायोजित कर रहा है, इसलिए वह कहीं भी अपना खाता जांच सकते हैं और दो-तीन डॉलर खर्च होने की चिंता नहीं करें।

चापके ने कहा कि अधिकारी ने यह भी आश्वासन दिया कि उनके सपनों को पूरा करने के लिए कभी भी धन की कमी नहीं होगी।

उन्होंने कहा, ‘‘मेरे बैंक खाते में चार सप्ताह से धन पड़ा हुआ था और मुझे इसकी जानकारी भी नहीं थी।’’

वित्तीय सहायता तब मिली जब चापके को अपनी यात्रा आगे बढ़ाने में कठिनाई हो रही थी। मुंबई के मानखुर्द इलाके में रहने वाले पूर्व पत्रकार ने कहा कि वह किसी के घर पर मेहमान बनकर रहते थे, जितना संभव हो सके पैदल चलते थे, सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करते थे और लोग जो भी देते थे, खा लेते थे।

वह कहते हैं कि अगर टाटा से मदद नहीं मिलती, तो वह पैसे की कमी के कारण अर्जेंटीना में बीच में ही अपनी यात्रा समाप्त कर लेते। चापके ने कहा कि उन्होंने एशिया, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अमेरिका, उत्तरी अमेरिका और यूरोप को कवर करते हुए जमीन के रास्ते 35 देशों की यात्रा की।

उन्होंने कहा, ‘‘शुरुआत में, मैंने पैसे को क्राउडसोर्स किया, लेकिन दूसरे चरण में टाटा ट्रस्ट ने फंड दिया।’’

चापके ने बताया कि दुनिया की अपनी परिक्रमा पूरी करने के बाद वह 2019 में मुंबई लौट आए और रतन टाटा को उनकी निजी ईमेल आईडी पर संदेश लिखा। उन्होंने कहा, ‘‘उनके कार्यालय ने जवाब दिया कि वे खुश हैं कि मैंने अभियान पूरा कर लिया है।’’

हालांकि, चापके ने कहा कि उन्हें एक अफसोस है। पूर्व पत्रकार ने रतन टाटा से मिलने की दो-तीन बार कोशिश की, लेकिन उनकी मुलाकात नहीं हो सकी।

भाषा वैभव मनीषा

मनीषा

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)