मुंबई, 15 जनवरी (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने कहा है कि बिना सुनवाई के लंबे समय तक जेल में रखना संविधान के तहत प्रदत्त जीवन के अधिकार का उल्लंघन है। साथ ही अदालत ने 2018 के एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में विशेष अदालत से सुनवाई में तेजी लाने को कहा।
उच्च न्यायालय ने यह भी कहा है कि विशेष अदालत नौ महीने में आरोप तय करेगी। आरोप तय करना मुकदमे की शुरुआत की दिशा में पहला कदम है।
न्यायमूर्ति ए. एस. गडकरी और न्यायमूर्ति कमल खता की खंडपीठ ने आठ जनवरी को इस मामले में शोधकर्ता रोना विल्सन और सामाजिक कार्यकर्ता सुधीर धवले को जमानत दे दी थी। दोनों के लंबे समय से जेल में रहने और निकट भविष्य में मुकदमा पूरा होने की संभावना नहीं होने को देखते हुए जमानत दी गई।
उच्च न्यायालय ने कहा कि विल्सन और धवले मुकदमे से पूर्व ही छह साल से अधिक समय जेल में बिता चुके हैं।
पीठ ने अपने विस्तृत आदेश में कहा कि यह कानून का स्थापित और मान्यता प्राप्त सिद्धांत है कि बिना सुनवाई के अभियुक्त को लंबे समय तक जेल में रखना संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है। आदेश की प्रति मंगलवार को उपलब्ध हुई।
पीठ ने कहा, ‘‘लंबे समय तक जेल में रहने तथा निकट भविष्य में मुकदमा पूरा होने की संभावना नहीं होने के कारण विचाराधीन कैदी को जमानत पर रिहा करना आवश्यक है।’’
उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘हम विशेष न्यायाधीश (राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण अधिनियम) से अनुरोध करते हैं कि वह आरोप तय करने के चरण में तेजी लाएं और जहां तक संभव हो, मुकदमा भी पूरा करें। आरोप तय करने का चरण आज से नौ महीने की अवधि के भीतर पूरा किया जाना चाहिए।’’
अदालत ने विल्सन और धवले को एक-एक लाख रुपये की जमानत राशि जमा करने का निर्देश दिया था।
अब आदेश की प्रति उपलब्ध होने के साथ, दोनों अपनी जमानत की औपचारिकताएं पूरी करने के लिए विशेष अदालत का रुख कर सकते हैं, जिसके बाद उन्हें नवी मुंबई की तलोजा जेल से रिहा कर दिया जाएगा।
उच्च न्यायालय ने विल्सन और धवले को मुकदमे के दौरान विशेष एनआईए अदालत के समक्ष उपस्थित होने, अपने पासपोर्ट जमा कराने और मुकदमा पूरा होने तक शहर नहीं छोड़ने का निर्देश दिया है।
एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में विल्सन और धवले सहित गिरफ्तार 16 लोगों में से 10 को अब तक जमानत मिल चुकी है।
पुणे पुलिस ने 2018 में मामला दर्ज किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि आरोपियों ने 31 दिसंबर, 2017 को एल्गार परिषद सम्मेलन में भड़काऊ भाषण दिया, जिससे अगले दिन जिले के कोरेगांव-भीमा में हिंसा भड़क गई थी।
पुलिस के अनुसार, इस सम्मेलन को माओवादियों का समर्थन प्राप्त था।
भाषा सुरभि वैभव
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