नागपुर, 12 अक्टूबर (भाषा) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने शनिवार को कहा कि ओटीटी (ओवर-द-टॉप) मंच पर उपलब्ध सामग्री ‘‘नैतिक भ्रष्टाचार’’ के कारणों में से एक है और इसे कानून के माध्यम से विनियमित करने की आवश्यकता है।
भागवत ने यहां रेशमबाग मैदान में आरएसएस की पारंपरिक विजया दशमी रैली में मूल्य आधारित शिक्षा की आवश्यकता पर बल दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘ओटीटी मंच पर जिस तरह की चीजें दिखाई जाती हैं, वे इतनी घिनौनी हैं कि उनके बारे में बात करना भी अशोभनीय होगा इसलिए मैंने कहा है कि इसे कानून के माध्यम से विनियमित करने की आवश्यकता है क्योंकि यह भी नैतिक भ्रष्टाचार के बड़े कारणों में से एक है।’’
भागवत ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मूल्य आधारित शिक्षा की आवश्यकता को मान्यता दी गई है और इसके अनुसार पाठ्यक्रम तैयार किया गया है लेकिन शिक्षकों द्वारा उदाहरण स्थापित किए बिना यह प्रभावी नहीं होगा और इसलिए शिक्षक उन्मुखीकरण की एक नयी प्रणाली बनानी होगी।
संघ प्रमुख ने कहा कि सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं को भी ध्यान रखना चाहिए कि इसका उपयोग समाज को जोड़ने और मूल्य प्रदान करने के लिए किया जाना चाहिए, न कि समाज को तोड़ने और अश्लीलता एवं अभद्रता फैलाने के लिए।
उन्होंने कहा कि एक बच्चे के चरित्र की नींव तीन से 12 वर्ष की आयु के बीच रखी जाती है और इसे घर पर बड़ों के व्यवहार, घर के माहौल, मैत्रीपूर्ण बातचीत को देखकर परिवार में मिली शिक्षा के माध्यम से आकार दिया जाता है।
भागवत ने कहा कि जीवन की इस अवधि के दौरान आत्म-सम्मान, देशभक्ति, नैतिकता, उद्देश्य की भावना और कर्तव्य की भावना जैसे गुणों का निर्माण होता है और ‘‘हमें इसे समझने और अपने घर से ही यह काम शुरू करने की आवश्यकता है।’’
भाषा सिम्मी अविनाश
अविनाश
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