अगर केंद्र सरकार आरक्षण की सीमा हटाने की पहल करेगी तो विपक्ष सहयोग करेगा : पवार |

अगर केंद्र सरकार आरक्षण की सीमा हटाने की पहल करेगी तो विपक्ष सहयोग करेगा : पवार

अगर केंद्र सरकार आरक्षण की सीमा हटाने की पहल करेगी तो विपक्ष सहयोग करेगा : पवार

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Modified Date: August 12, 2024 / 07:59 PM IST
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Published Date: August 12, 2024 7:59 pm IST

पुणे, 12 अगस्त (भाषा) महाराष्ट्र में मराठा-ओबीसी आरक्षण विवाद के बीच, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) के नेता शरद पवार ने सोमवार को कहा कि अगर केंद्र सरकार आरक्षण पर उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित 50 प्रतिशत आरक्षण सीमा को हटाने के लिए नीति लाती है तो विपक्ष सहयोग करेगा।

राज्य स्तर पर, पवार ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से आरक्षण विवाद पर चर्चा के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाने की अपील की।

पवार ने सामूहिक विचार-विमर्श का आह्वान ऐसे समय किया है जब एक दिन पहले ही उन्हें मराठा प्रदर्शनकारियों के गुस्से का सामना करना पड़ा था। प्रदर्शनकारियों ने सोलापुर जिले में उनकी एसयूवी गाड़ी रोक ली थी और उनसे आरक्षण के मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा था।

मराठा क्रांति ठोक मोर्चा के नेता रमेश केरे पाटिल के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को पुणे में राकांपा (एसपी) प्रमुख से उनके आवास पर मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल ने सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण की समुदाय की मांग पर पवार का रुख जानना चाहा।

केरे पाटिल द्वारा मुलाकात करने और उन्हें ज्ञापन सौंपे जाने के बाद पवार ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘आरक्षण का दायरा बढ़ाने में एक बाधा है, क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने फैसला दिया है कि आरक्षण देते समय 50 प्रतिशत कोटा सीमा का उल्लंघन नहीं किया जा सकता। उचित नीति का मसौदा तैयार करने की जिम्मेदारी केंद्र पर है।’’

विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन के सबसे बड़े नेताओं में से एक पवार ने कहा कि केंद्र की नीति में बदलाव की जरूरत है और अगर वह पहल करता है तो विपक्ष सहयोग करेगा।

पवार ने कहा कि उन्होंने हाल में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से मुलाकात की और (कोटा) मुद्दे को सुलझाने के लिए सभी राजनीतिक दलों की बैठक बुलाने का सुझाव दिया।

पवार ने कहा, ‘‘उन्हें (शिंदे को) उन नेताओं को आमंत्रित करना चाहिए जिन्हें वह उचित समझते हैं, और हम भी विपक्ष के रूप में इसमें शामिल होंगे और सहयोग करेंगे।’’

उन्होंने कहा कि आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे और राज्य मंत्री छगन भुजबल सहित ओबीसी नेताओं को बैठक के लिए आमंत्रित किया जाना चाहिए।

पवार को रविवार को गुस्साए मराठा प्रदर्शनकारियों का सामना करना पड़ा, जिन्होंने सोलापुर जिले में उनकी एसयूवी गाड़ी रोक ली और आरक्षण के मुद्दे पर उनका रुख जानना चाहा। इसके अलावा, पवार को बार्शी शहर में एक रैली में विरोध का सामना करना पड़ा जहां मराठा आरक्षण और मनोज जरांगे के समर्थन में नारे लगाए गए और काले झंडे लहराए गए।

केरे पाटिल और पवार के बीच बैठक पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए आरक्षण कार्यकर्ता जरांगे ने आरोप लगाया कि उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और भाजपा के अन्य नेता मराठा समुदाय में दरार डालने की कोशिश कर रहे हैं।

उन्होंने केरे पाटिल की पवार से मुलाकात को मराठों को बांटने का एक ‘हथकंडा’ करार दिया। पुणे में पत्रकारों से बातचीत में जरांगे ने कहा, ‘‘फडणवीस मराठा समुदाय में दरार पैदा करने का सपना देख रहे हैं, हालांकि उनका यह सपना कभी पूरा नहीं होगा।’’

जरांगे ने आरोप लगाया कि भाजपा नेता (प्रवीण) दारेकर और फडणवीस आरक्षण के मुद्दे पर मराठों को विभाजित समुदाय के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहे हैं।

केरे पाटिल ने संवाददाताओं से बातचीत के दौरान दावा किया कि पवार ने राकांपा (एसपी) की स्थिति स्पष्ट की और ओबीसी कोटे में छेड़छाड़ किए बिना मराठों को आरक्षण देने का समर्थन किया। उन्होंने कहा, ‘‘पवार साहब ने दावा किया कि यदि मराठा समुदाय को ओबीसी कोटे के तहत आरक्षण मिलता है तो अन्य समुदायों के लोग निराश होंगे।’’

हालांकि, पवार ने केरे पाटिल के साथ बैठक के दौरान ऐसा कोई बयान देने से इनकार किया।

जरांगे सभी कुनबी (कृषक) और उनके ‘‘सगे सोयरे’’ (रक्त संबंधियों) को मराठा के रूप में मान्यता देने के लिए ओबीसी प्रमाण पत्र देने की मांग को लेकर जारी आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं।

फरवरी में महाराष्ट्र विधानसभा ने शिक्षा और सरकारी नौकरियों में मराठा समुदाय को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के प्रावधान वाला विधेयक पारित किया था। हालांकि, जरांगे मराठाओं को ओबीसी श्रेणी में शामिल करने पर जोर देते रहे हैं।

भाषा धीरज वैभव

वैभव

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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