मुंबई, 29 जून (भाषा) महाराष्ट्र में विपक्षी दलों ने प्रस्तावित शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे को लेकर महाराष्ट्र सरकार पर निशाना साधते हुए शनिवार को कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इस मुद्दे पर विधान परिषद को गुमराह किया है।
कांग्रेस के विधान पार्षद सतेज पाटिल ने कहा कि शिंदे ने आश्वासन दिया था कि कॉरिडोर को लोगों पर थोपा नहीं जाएगा, लेकिन राज्य सरकार ने उसी समय केंद्र को मंजूरी के लिए प्रस्ताव भेजा था।
उच्च सदन में इस मुद्दे पर बहस हुई, जिसके बाद कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित कर दी गई।
सदन में इस मुद्दे को उठाते हुए पाटिल ने कहा, ‘‘शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे की योजना 7 फरवरी को बनाई गई थी और इस साल 28 फरवरी को इसे राज्य राजमार्ग घोषित किया गया। सात मार्च को जारी भूमि अधिग्रहण नोटिस में बताया गया कि इसके निर्माण के लिए 27,000 एकड़ जमीन की जरूरत होगी। एक्सप्रेसवे राज्य के 17 धार्मिक स्थलों को जोड़ेगा।’’
पाटिल ने दावा किया कि लोगों की ओर से ऐसे राजमार्ग की कोई मांग नहीं है, लेकिन राज्य सरकार इसे बनाने के लिए उत्सुक है।
पाटिल ने विधान परिषद में पूछा, ‘‘क्या ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि कुछ निर्माण कंपनियों ने चुनावी बॉण्ड के जरिए मोटी रकम का भुगतान किया? कुछ कंपनियों को इस तरह की खास तवज्जो क्यों दी जा रही है?’’
इस मुद्दे पर जवाब देते हुए लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के मंत्री दादा भुसे ने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री शिंदे ने पहले ही लोगों को आश्वासन दिया है कि यह परियोजना उन पर थोपी नहीं जाएगी। अगर कोई सवाल है तो सरकार बैठक कर उसका समाधान करेगी।’’ हालांकि, जवाब से असंतुष्ट पाटिल ने कहा कि भुसे यह नहीं बता रहे कि परियोजना रद्द होगी या नहीं।
विधान परिषद की उपसभापति नीलम गोरहे ने हस्तक्षेप करते हुए भुसे से सत्र समाप्त होने के 15 दिन बाद निर्वाचित प्रतिनिधियों और किसानों के साथ बैठक करने को कहा, जिस पर मंत्री ने सहमति व्यक्त की।
सुझाव को स्वीकार करने से इनकार करते हुए पाटिल ने कहा, ‘‘लगता है कि इस सरकार ने लोकसभा चुनाव में हार से कोई सबक नहीं सीखा है। अगर यह आत्मघाती मोड में है तो महाराष्ट्र सरकार को इस परियोजना को आगे बढ़ाना चाहिए। सरकार को आगामी (विधानसभा) चुनावों में इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।’’
प्रस्तावित 802 किलोमीटर लंबा शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे वर्धा जिले (विदर्भ क्षेत्र में) के पवनार को तटीय सिंधुदुर्ग (कोंकण में) के पतरादेवी से जोड़ेगा। यह एक्सप्रेसवे 12 जिलों से होकर गुजरते हुए पड़ोसी राज्य गोवा में प्रवेश करेगा।
इस बीच, विपक्षी दलों ने कहा कि विधान परिषद में दो साल से पूर्णकालिक सभापति नहीं है और इस पद को जल्द से जल्द भरा जाना चाहिए।
इस मामले पर विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष अंबादास दानवे के साथ-साथ कांग्रेस के विधान पार्षद अभिजीत वंजारी और भाई जगताप ने चर्चा की।
दानवे शिवसेना (यूबीटी) से जुड़े हैं।
जवाब में राज्य के संसदीय कार्य मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने कहा, ‘‘परिषद में आठ जुलाई 2022 से पूर्णकालिक सभापति नहीं है। संसदीय कार्य विभाग को सूचित कर दिया गया है और सोमवार को सर्वदलीय बैठक के दौरान इस मामले पर चर्चा की जाएगी।’’
भाषा आशीष माधव
माधव
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