मुंबई, छह अक्टूबर (भाषा) भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम (एनपीसीआईएल) पहली बार निजी कंपनियों के लिए 220 मेगावाट क्षमता के छोटे परमाणु संयंत्रों का संचालन करेगा और निजी कंपनियां परियोजना के लिए वित्तपोषण और भूमि, दोनों उपलब्ध कराएंगी। यह जानकारी एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने दी।
अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि इस मोर्चे पर विकास इस साल के अंत तक या 2025 की शुरुआत में होने की संभावना है। अधिकारी ने कहा, ‘‘परमाणु संयंत्र के लिए धन और भूमि निजी कंपनी द्वारा उपलब्ध कराई जाएगी, लेकिन संयंत्र का प्रबंधन एनपीसीआईएल द्वारा किया जाएगा।’’
एक अन्य अधिकारी ने बताया कि परमाणु ऊर्जा विभाग के तहत आने वाला सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम एनपीसीआईएल द्वारा संयंत्र का प्रबंधन और संचालन करने के चलते परमाणु ऊर्जा अधिनियम में संशोधन की जरूरत नहीं पड़ेगी। अधिकारी ने बताया कि परमाणु ऊर्जा अधिनियम के तहत परमाणु ऊर्जा क्षेत्र केवल सरकारी पीएसयू (सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम) के लिए खुला है।
अधिकारी ने बताया कि 220 मेगावाट के इन रिएक्टर को ‘भारत लघु रिएक्टर’ के नाम से जाना जाएगा, जिसके लिए भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी) में पहले से ही शोध कार्य जारी है।
अधिकारी ने बताया कि छोटे रिएक्टर के निर्माण के लिए ‘प्रेशराइज्ड हेवी वाटर रिएक्टर’ (पीएचडब्ल्यूआर) तकनीक का इस्तेमाल किए जाने की संभावना है।
अधिकारी ने बताया कि छोटे रिएक्टर के साथ, निषेध क्षेत्र को कम करके 500 मीटर तक किया जा सकता है। वर्तमान में निषेध क्षेत्र एक से 1.5 किलोमीटर तक है। शुरुआत में ध्यान स्टील जैसे उद्योगों पर होगा।
अधिकारी ने बताया कि कई निजी क्षेत्रों के पास अपने स्वयं के ‘कैप्टिव प्लांट’ हैं और भविष्य में छोटे रिएक्टर उनकी जगह ले सकते हैं।
जुलाई में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट पेश करते हुए घोषणा की थी कि सरकार भारत लघु रिएक्टर की स्थापना और छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर के अनुसंधान और विकास में निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी करेगी।
विदेशी इकाई के सहयोग से एक छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर के निर्माण के लिए प्रति मेगावाट लागत लगभग 100 करोड़ रुपये प्रति मेगावाट हो सकती है। उन्हंने कहा कि हालांकि, पीडब्ल्यूएचआर तकनीक के साथ, यह 16 करोड़ रुपये प्रति मेगावाट पर किया जा सकता है।
भाषा अमित रंजन
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