मुंबई, चार दिसंबर (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने चार व्यक्तियों को ‘अवांछित व्यक्ति’ घोषित करने वाले बीएमसी के परिपत्र को रद्द करने से इनकार करते हुए कहा कि किसी को भी एक ही मुद्दे पर बार-बार शिकायत करके सरकारी अधिकारियों को परेशान करने का कोई मौलिक अधिकार नहीं है।
न्यायमूर्ति ए एस गडकरी और न्यायमूर्ति कमल खता की खंडपीठ ने मंगलवार को कहा कि वह किसी भी तरह से उन लोक सेवकों का बचाव नहीं कर रही है जो अपने कर्तव्यों को पूरा करने में विफल रहते हैं, लेकिन किसी भी लोक सेवक से आदतन शिकायतकर्ताओं की लगातार धमकियों और दबाव में काम करने की उम्मीद नहीं की जा सकती।
बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) ने दिसंबर 2021 में एक परिपत्र जारी किया था, जिसमें सड़कों की खराब स्थिति और पेड़ों की कटाई के बारे में कई और समान शिकायतें दर्ज कराने के लिए चार व्यक्तियों को ‘अवांछित व्यक्ति’ घोषित किया गया था।
परिपत्र में कहा गया है कि इन व्यक्तियों द्वारा दर्ज करायी गई शिकायतें केवल बीएमसी अधिकारियों को परेशान करने के लिए थीं और निकाय कर्मचारियों को उचित जवाब दिसे जाने के बाद एक ही मुद्दे पर उनसे बार-बार की गई शिकायतों पर विचार नहीं करने की अनुमति दी।
दो व्यक्तियों – सागर दौंडे और नानासाहेब पाटिल – ने परिपत्र को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी जिसमें दावा किया गया था कि यह अवैध और मनमाना है।
याचिका में यह भी दावा किया गया था कि इस तरह का परिपत्र जारी करना उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है और वे इसके लिए हकदार हैं कि उन्हे सार्वजनिक सेवाएं पारदर्शी एवं कुशल तरीके से और समय पर मिलें।
हालांकि, उच्च न्यायालय ने परिपत्र को रद्द करने से इनकार कर दिया और कहा कि उसे परिपत्र सोच समझकर जारी किया गया लगता है।
उसने कहा कि व्यक्तियों को उसी विषय पर उनकी शिकायतों के समाधान के बाद ही ‘अवांछित व्यक्ति’ घोषित किया गया।
उच्च न्यायालय ने कहा कि परिपत्र केवल समान मुद्दों पर बार-बार की गई शिकायतों को अनदेखा करने की अनुमति देता है और इसलिए याचिकाकर्ताओं के मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं करता।
इसने यह भी कहा कि बीएमसी कर्मचारियों को याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर किसी भी नयी शिकायत पर विचार करने से इनकार नहीं करना चाहिए, क्योंकि उनकी शिकायतें मुख्य रूप से सड़क निर्माण कार्य की घटिया गुणवत्ता या पेड़ों की बेतहाशा कटाई के बारे में हैं। उच्च न्यायालय ने कहा कि किसी को तो इन मुद्दों को उठाना ही होगा क्योंकि यह सच है कि शहर में सड़कें खराब स्थिति में हैं।
भाषा अमित नरेश
नरेश
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