नये कानूनों की मंशा संविधान की भावना के तहत न्याय उन्मुख प्रणाली स्थापित करना : विशेषज्ञ |

नये कानूनों की मंशा संविधान की भावना के तहत न्याय उन्मुख प्रणाली स्थापित करना : विशेषज्ञ

नये कानूनों की मंशा संविधान की भावना के तहत न्याय उन्मुख प्रणाली स्थापित करना : विशेषज्ञ

:   Modified Date:  July 4, 2024 / 09:31 PM IST, Published Date : July 4, 2024/9:31 pm IST

मुंबई, चार जुलाई (भाषा) पूरे देश में एक जुलाई से लागू नये फौजदारी कानूनों की मंशा संविधान की भावना के तहत न्याय उन्मुख प्रणाली की स्थापना करना है। यहां आयोजित कार्यशाला में बृहस्पतिवार को वक्ताओं ने यह विचार व्यक्त किए।

भारतीय न्याय संहिता ( बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) एक जुलाई को लागू हो गए। इन नए कानूनों ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और साक्ष्य कानून की जगह ली है।

पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) द्वारा आयोजित कार्यशाला में नए कानूनों की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डाला गया, जिनमें प्रौद्योगिकी का बेहतर उपयोग, पीड़ितों की सुरक्षा और पीड़ितों के बयान की ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग की अनुमति देना शामिल है।

कार्यशाला के प्रमुख वक्ता और महाराष्ट्र पुलिस अकादमी के उप महानिदेशक काकासाहेब डोले ने कहा, ‘‘ नये फौजदारी कानूनों का उद्देश्य औपनिवेशिक युग की भारतीय दंड संहिता में सुधार लाना और भारतीय सोच और संविधान की भावना पर आधारित न्याय उन्मुख व्यवस्था की स्थापना करना है। वे सजा के बजाय न्याय पर ध्यान केंद्रित करते हैं और पीड़ित केंद्रित न्याय सुनिश्चित करते हैं।’’

डोले ने कहा कि बीएनएसएस नागरिकों को मौखिक या इलेक्ट्रॉनिक संचार (ई-एफआईआर) के माध्यम से प्राथमिकी दर्ज करने का अधिकार देता है। इसके अलावा, चाहे जिस क्षेत्र में अपराध हुआ हो, नागरिक देश में कहीं से भी प्राथमिकी दर्ज कर सकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘ अब, नागरिक जांच के उद्देश्य से ऑडियो-वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से आरोपी, पीड़ित या गवाह के रूप में पेश हो सकते हैं। बलात्कार पीड़ित अब ऑनलाइन ई-बयान दर्ज कर सकती हैं और उन्हें पुलिस थाना जाने की आवश्यकता नहीं है।’’

अधिवक्ता अभिनीत पंगे ने कहा कि इन नये कानूनों को लेकर सभी को अभ्यस्त होने में कुछ समय लगेगा। उन्होंने कहा कि छोट-मोटे अपराधों के लिए सामुदायिक सेवा नये कानून के तहत अहम है।

भाषा धीरज अविनाश

अविनाश

 

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