राकांपा (शरदचंद्र पवार) ने महाराष्ट्र में महायुति सरकार की ‘काली करतूतों’ पर किताब जारी की |

राकांपा (शरदचंद्र पवार) ने महाराष्ट्र में महायुति सरकार की ‘काली करतूतों’ पर किताब जारी की

राकांपा (शरदचंद्र पवार) ने महाराष्ट्र में महायुति सरकार की ‘काली करतूतों’ पर किताब जारी की

:   Modified Date:  July 19, 2024 / 04:09 PM IST, Published Date : July 19, 2024/4:09 pm IST

मुंबई, 19 जुलाई (भाषा) शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) ने शुक्रवार को सत्तारूढ़ महायुति सरकार की ‘काली करतूतों’ पर एक किताब के विमोचन के साथ महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव का बिगुल फूंक दिया।

पुस्तक का विमोचन करते हुए पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने इसे “ट्रिपल इंजन नहीं, बल्कि ट्रबल इंजन” (तीन इंजनों वाली नहीं, मुसीबत वाली) सरकार करार दिया।

राज्य में सत्तारूढ़ गठबंधन में भाजपा, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और उपमुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व वाली राकांपा शामिल हैं।

पाटिल ने कहा कि वंचित महिलाओं को 1,500 रुपये मासिक सहायता देने का वादा करने वाली “लाड़की बहन योजना’ के स्थान पर ‘लाड़की खुर्ची (कुर्सी) योजना’ शुरू की जानी चाहिए ताकि “मुख्यमंत्री बनने की आकांक्षा रखने वाले सभी लोगों की मांगों को पूरा किया जा सके।”

महायुति सरकार के ‘काले कारनामों’ पर अपनी किताब में, राकांपा (शरदचंद्र पवार) ने सत्तारूढ़ गठबंधन की 10 ‘विफलताओं’ को उजागर किया, जबकि राज्य में ‘कुशासन’ और ‘भ्रष्टाचार’ पर तीखा हमला किया।

पाटिल ने दक्षिण मुंबई के बैलार्ड एस्टेट स्थित पार्टी कार्यालय में शिरूर के सांसद अमोल कोल्हे, पार्टी की घोषणापत्र समिति की अध्यक्ष एवं पूर्व राज्यसभा सदस्य वंदना चव्हाण तथा छात्र इकाई के अध्यक्ष सुनील गव्हाणे के साथ पुस्तक का विमोचन किया।

जयंत पाटिल ने कहा, “यह ट्रिपल इंजन वाली सरकार नहीं है, यह ट्रबल इंजन वाली सरकार है।” उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि राज्य में “लाड़की खुर्ची” (लाड़की कुर्सी) शुरू की जानी चाहिए।

शरद पवार द्वारा स्थापित राकांपा में पिछले साल तब विभाजन हो गया था जब अजित पवार अपने वफादार विधायकों को लेकर सरकार में शामिल हो गए थे। बाद में उन्हें पार्टी का नाम और घड़ी का चुनाव चिन्ह मिला।

मुख्यमंत्री शिंदे पर निशाना साधते हुए पाटिल ने कहा, “मुख्यमंत्री दावोस जाते हैं और फिर चार लाख करोड़ रुपये के निवेश की बात करते हैं, लेकिन ये सिर्फ दावे हैं। उसमें से कितना निवेश महाराष्ट्र में आया है? कितनी नौकरियां पैदा हुई हैं?”

इस पुस्तक में एक काले रंग का गुब्बारा है जिस पर तीन कौवे बैठे हुए हैं। अमोल कोल्हे ने इसे महाराष्ट्र में “गांधी जी के तीन बंदरों का नया रूप” बताया है।

उन्होंने कहा कि जहां (गांधीजी के) मूल बंदरों की विचारधारा “बुरा न देखने, बुरा न सुनने, बुरा न बोलने” पर केंद्रित थी, वहीं महाराष्ट्र के कौवे राज्य में किसी भी सकारात्मक कार्य के बारे में “न देखने, न सुनने और न बात करने” की नयी विचारधारा का प्रतिनिधित्व करते हैं।

पुस्तक विमोचन के अलावा, राकांपा (शरदचंद्र पवार) नेताओं ने आगामी राज्य विधानसभा चुनावों के लिए अपने घोषणापत्र के वास्ते सुझावों को “क्राउडसोर्स” (जनता से सुझाव मांगने) करने के लिए एक अभियान भी शुरू किया।

भाषा प्रशांत नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)