मेरे परिवार को लड़का होने की उम्मीद थी, लेकिन मेरे जन्म का जश्न मनाया गया: निकिता पोरवाल |

मेरे परिवार को लड़का होने की उम्मीद थी, लेकिन मेरे जन्म का जश्न मनाया गया: निकिता पोरवाल

मेरे परिवार को लड़का होने की उम्मीद थी, लेकिन मेरे जन्म का जश्न मनाया गया: निकिता पोरवाल

:   Modified Date:  October 22, 2024 / 06:16 PM IST, Published Date : October 22, 2024/6:16 pm IST

मुंबई, 22 अक्टूबर (भाषा) फेमिना मिस इंडिया वर्ल्ड 2024 की विजेता निकिता पोरवाल का कहना है कि वह एक परंपरावादी परिवार में पली-बढ़ी हैं, जहां उनके माता-पिता नारीवाद और महिला सशक्तिकरण जैसी अवधारणाओं से अपरिचित थे, लेकिन उनके जीवन और कर्म में ये मूल्य समाहित रहे हैं।

मध्य प्रदेश के उज्जैन में पली-बढ़ी पोरवाल को पिछले हफ़्ते सौंदर्य प्रतियोगिता में विजेता घोषित किया गया। अब वह 2025 में मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता के 72वें संस्करण में देश का प्रतिनिधित्व करेंगी।

अभिनेत्री-मॉडल निकिता ने कहा कि उनका पालन पोषण बहुत लाड़-प्यार से किया गया और नारीवाद तथा महिला सशक्तिकरण जैसे शब्दों से अनजान होने के बावजूद उनका परिवार महिलाओं के सम्मान को कितना महत्व देता है, यह इसी बात से पता चलता है कि बेटे की उम्मीद के बावजूद उनके जन्म का जश्न मनाया गया। वह बताती हैं कि माहवारी के दिनों में न केवल घर की महिला सदस्य बल्कि पुरूष सदस्य भी उनके आराम और सुविधा का ख्याल रखते हैं।

उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘मैं उज्जैन के एक बहुत ही विनम्र और साधारण परिवार से आती हूं। मेरे माता-पिता आधुनिक शब्दों जैसे नारीवाद, महिला सशक्तिकरण और न्याय के बारे में अच्छी तरह से परिचित नहीं थे, जिनका हम अक्सर इस्तेमाल करते हैं, लेकिन मैंने हमेशा देखा है कि उनके कार्यों में ये मूल्य समाहित थे।’’

पोरवाल के एक बड़े भाई और बहन हैं। उन्होंने कहा कि जब उनकी मां गर्भवती थीं, तो परिवार में हर कोई ‘‘लड़का होने की उम्मीद कर रहा था।’’

उन्होंने कहा, ‘‘दो लड़कियों की तुलना में परिवार में दो लड़के होना सही माना जाता है। लेकिन जब मेरा जन्म हुआ, तो सभी को आश्चर्य हुआ। मेरे पिता, मेरे चाचा, मेरे दादा ने मेरे जन्म का जश्न किसी जीत की तरह मनाया, वैसा जश्न उन्होंने मेरे भाई के जन्म के समय भी नहीं किया था।’’

पोरवाल ने कहा कि जब उनका मासिक धर्म शुरू हुआ, तो उनसे उम्मीद की जाती थी कि वह रसोई में प्रवेश नहीं करेंगी, तब उनके दादा खुद उन्हें खाना परोसते थे।

उन्होंने कहा, ‘‘मेरे दादा मुझे खाना खिलाते थे। जब मैं स्कूल से लौटती थी, तो मेरे पिता मेरे पैरों की मालिश करते थे। मेरा भाई जो हमेशा मुझसे लड़ता था, वह भी उन दिनों मेरा बहुत ध्यान रखता था…।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मेरे परिवार में मेरा पालन पोषण बहुत प्यार से किया गया और इसने मुझे एक ऐसा व्यक्ति बना दिया है जो मानता है कि प्यार एक ऐसी चीज है जो सब कुछ संतुलित कर सकती है। भले ही रीति-रिवाज और मूल्यों का एक-दूसरे के साथ तालमेल न हों, लेकिन प्यार सब कुछ बराबर कर सकता है।’’

पोरवाल ने कहा कि उनके माता-पिता ने हमेशा उनका साथ दिया। उन्होंने कहा, ‘‘आज, मेरे पास यह खिताब है। मुझे याद है कि जब मैं कुछ भी नहीं थी, तो उन्हें मुझ पर गर्व था और आज भी है। मैं हमेशा किसी न किसी तरह से उन्हें यह सम्मान देना चाहती थी, क्योंकि उज्जैन जैसे साधारण शहर से होने के कारण, अपने बच्चों को उनके सपनों को पूरा करने के लिए मुंबई जाने देना आसान नहीं है।’’

उज्जैन के कार्मेल कॉन्वेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल से स्कूली शिक्षा प्राप्त करने वाली और बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय से स्नातक करने वाली पोरवाल ने कहा कि वह इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता में अपने गृह राज्य का प्रतिनिधित्व करके भी खुश हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं मध्य प्रदेश का नाम सुनना चाहती थी, क्योंकि पिछले 60 वर्षों में मेरे राज्य में कभी कोई फेमिना मिस इंडिया नहीं रही। यह पहली बार था जब उज्जैन से किसी ने मिस इंडिया में भाग लिया।’’

पोरवाल ने कहा कि वह पूर्व सौंदर्य प्रतियोगिता विजेता और बॉलीवुड स्टार ऐश्वर्या राय बच्चन से प्रेरणा लेती हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘सुष्मिता सेन, ऐश्वर्या राय बच्चन और प्रियंका चोपड़ा जोनास सहित भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली सभी महिलाएं महान प्रेरणादायक शख्सियत रही हैं, लेकिन मुझे सबसे ज्यादा प्रेरणा ऐश्वर्या राय बच्चन से मिलती है।’’

उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व करना एक बड़ी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा, ‘‘भारत सिर्फ एक देश या नाम नहीं है। इसके कई अर्थ हैं और यह (इसका विचार) हर व्यक्ति के लिए अलग है। यह मेरे लिए भी अलग है और इसलिए मैं भारत के अपने विचार का प्रतिनिधित्व करना चाहती हूं।’’

भाषा अमित नरेश

नरेश

 

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