मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलना सामूहिक प्रयासों का नतीजा: राउत |

मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलना सामूहिक प्रयासों का नतीजा: राउत

मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलना सामूहिक प्रयासों का नतीजा: राउत

:   Modified Date:  October 4, 2024 / 03:14 PM IST, Published Date : October 4, 2024/3:14 pm IST

(फाइल फोटो के साथ)

मुंबई, चार अक्टूबर (भाषा) शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने मराठी भाषा को ‘‘शास्त्रीय भाषा’’ का दर्जा देने के केंद्र के फैसले का शुक्रवार को स्वागत किया और इस बात पर जोर दिया कि इसके लिए किसी एक पार्टी के नेता को श्रेय नहीं दिया जाना चाहिए, बल्कि यह सामूहिक प्रयासों का नतीजा है।

राउत ने पत्रकारों से कहा कि अगर मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्रदान करने के पीछे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की मंशा महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव में हुई हार की भरपाई करना है तो इस भाषा को उनकी (भाजपा की) ‘‘दया’’ की जरूरत नहीं है, क्योंकि मराठी एक महान भाषा है।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बृहस्पतिवार को मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बांग्ला को ‘‘शास्त्रीय भाषा’’ का दर्जा दिया।

केंद्र ने महाराष्ट्र में अगले महीने संभावित विधानसभा चुनाव से पहले यह कदम उठाया है।

शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता ने कहा, ‘‘राज्य का हर नेता और पिछले 30-35 वर्ष से इसके मुख्यमंत्री मराठी को ‘शास्त्रीय भाषा’ का दर्जा दिलाने के लिए काम कर रहे हैं। यह अत्यंत सम्मान की बात है। यह किसी एक पार्टी या नेता की बदौलत नहीं, बल्कि सामूहिक योगदान का नतीजा है।’’

उन्होंने कहा कि दशकों से विभिन्न राजनीतिक दल संसद के हर सत्र में इस मुद्दे को उठाते रहे हैं।

भाजपा पर कटाक्ष करते हुए राउत ने कहा कि पार्टी ने मराठी को ‘शास्त्रीय भाषा’ का दर्जा देकर कागज पर तो इसका सम्मान किया है, लेकिन उसे उद्योगों को महाराष्ट्र से बाहर जाने से रोकना चाहिए।

इसी कड़ी में, शिवसेना नेताओं ने शुक्रवार को शिवाजी पार्क स्थित बालासाहेब ठाकरे स्मारक की यात्रा की।

राज्यसभा सदस्य मिलिंद देवरा, विधानपरिषद के पूर्व सदस्य किरण पावसकर और मनीषा कायंदे तथा पार्टी के कई पदाधिकारी शिवसेना संस्थापक के स्मारक पर गए।

राज्य विधानसभा चुनाव से पहले, मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने की राजनीतिक मांग ने जोर पकड़ लिया था। महाराष्ट्र में शिवसेना-भाजपा सरकार ने इस साल की शुरुआत में पूर्व राजनयिक ज्ञानेश्वर मुले की अध्यक्षता में एक समिति गठित की थी।

भारत सरकार ने 12 अक्टूबर 2004 को ‘‘शास्त्रीय भाषा’’ के रूप में भाषाओं की एक नयी श्रेणी बनाने का निर्णय लिया था, जिसके तहत तमिल को शास्त्रीय भाषा घोषित किया गया तथा उसके बाद संस्कृत, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम और उड़िया को भी यह दर्जा दिया गया।

भाषा सुरभि सुभाष

सुभाष

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)