जालना, 12 नवंबर (भाषा) महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण आंदोलन का गढ़ रहे जालना में चुनाव प्रचार के दौरान राजनेताओं ने इस विवादास्पद मुद्दे से दूरी बनाते हुए महिला-केंद्रित कल्याण योजनाओं पर ही अपना ध्यान केंद्रित किया।
सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन के नेता जहां लाडकी बहिन योजना की विशेषताओं को रेखांकित कर रहे हैं, वहीं विपक्षी महाविकास आघाडी (एमवीए) ने भी सत्ता में आने पर महालक्ष्मी योजना के तहत महिलाओं को वित्तीय सहायता देने का वादा किया है।
राज्य की 288 सदस्यीय विधानसभा के लिए चुनाव 20 नवंबर को होना है।
इस साल फरवरी में महाराष्ट्र विधानसभा ने सर्वसम्मति से शिक्षा और सरकारी नौकरियों में मराठा समुदाय के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाला विधेयक पारित किया था।
हालांकि, कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत मराठा कोटा की मांग के लिए जालना के अंतरवाली सरती गांव में कई बार भूख हड़ताल की है।
जालना के निकट वाडीगोद्री गांव में भी अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के कार्यकर्ताओं ने सरकार से यह आश्वासन मांगने के लिए आंदोलन किया कि मराठा आरक्षण की मांग के मद्देनजर उनके कोटे पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने सोमवार को जिले में दो चुनावी रैलियों को संबोधित किया, जहां उन्होंने एमवीए और उद्धव ठाकरे नीत शिवसेना (यूबीटी) की आलोचना की लेकिन वह मराठा या ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर टिप्पणी करने से बचते नजर आए। मुख्यमंत्री ने अपने भाषणों में लाडकी बहिन योजना को रेखांकित किया जबकि एमवीए पर इसका विरोध करने का आरोप लगाया।
इस साल जालना लोकसभा सीट से हार का सामना करने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री रावसाहेब दानवे अपने बेटे संतोष दानवे के लिए प्रचार करते वक्त आरक्षण के मुद्दे से बचते हुए नजर आए।
संतोष भोकरदन विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों ने लोकसभा चुनाव में रावसाहेब दानवे की हार के पीछे जरांगे को एक मुख्य वजह करार दिया था।
कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के प्रमुख नाना पटोले ने शनिवार को जालना में एक रैली के दौरान आरक्षण के मुद्दे पर बात करने से परहेज किया। पटोले ने रैली में महायुति सरकार और उसकी कल्याणकारी योजनाओं पर निशाना साधा।
पटोले ने महिलाओं की मदद के उद्देश्य से महालक्ष्मी योजना सहित एमवीए की कल्याणकारी पहलों के बारे में बात की।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा)-शरदचंद्र पवार के प्रमुख शरद पवार ने रविवार को यहां एक रैली के दौरान जाति जनगणना और आरक्षण सीमा बढ़ाने की मांग उठाई लेकिन उन्होंने मराठा आरक्षण मुद्दे का सीधे तौर पर जिक्र करने से परहेज किया।
वहीं शिवसेना-उद्धव बालासाहेब ठाकरे (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने गत शुक्रवार को यहां अपने प्रचार अभियान के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री शिंदे की आलोचना की थी, लेकिन उन्होंने भी आरक्षण के मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं की।
उद्धव ने अपने अभियान में मराठा आरक्षण के बजाय एमवीए की कल्याणकारी योजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया।
भाषा जितेंद्र संतोष
संतोष
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