महाराष्ट्र अभयारण्य में पर्यटक वाहनों के बाघिन का रास्ता रोकने पर उच्च न्यायालय का कड़ा रुख |

महाराष्ट्र अभयारण्य में पर्यटक वाहनों के बाघिन का रास्ता रोकने पर उच्च न्यायालय का कड़ा रुख

महाराष्ट्र अभयारण्य में पर्यटक वाहनों के बाघिन का रास्ता रोकने पर उच्च न्यायालय का कड़ा रुख

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Modified Date: January 7, 2025 / 12:34 PM IST
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Published Date: January 7, 2025 12:34 pm IST

नागपुर (महाराष्ट्र), सात जनवरी (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने नववर्ष की पूर्व संध्या पर महाराष्ट्र के उमरेड-पौनी-करहांडला अभयारण्य में पर्यटकों के सफारी वाहनों द्वारा एक बाघिन और उसके शावकों की आवाजाही में बाधा पहुंचाने की घटना पर कड़ा रुख अपनाया है।

उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ के न्यायमूर्ति नितिन साम्ब्रे और न्यायमूर्ति व्रुषाली जोशी ने सोमवार को राज्य के प्रधान मुख्य वन संरक्षक को नोटिस जारी कर इस संबंध में की गई कार्रवाई तथा इससे बचने के उपायों पर विस्तृत हलफनामा मांगा।

पीठ बुधवार को याचिका पर सुनवाई करेगी।

इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित हुआ था। 31 दिसंबर, 2024 की घटना के वीडियो में सफारी वाहन ‘एफ-2’ नामक बाघिन और उसके पांच शावकों के चारों ओर अभयारण्य के ‘बफर जोन’ में सड़क के दोनों ओर खड़े दिखाई दे रहे हैं ताकि पर्यटकों को उनकी तस्वीरें और वीडियो लेने में मदद मिल सके।

उच्च न्यायालय ने इस घटना के वीडियो और समाचार रिपोर्टों का स्वतः संज्ञान लिया।

राज्य वन विभाग ने इस घटना में शामिल चार चालकों और गाइड को सोमवार को तीन महीने के लिए निलंबित कर दिया।

जिप्सी एसयूवी चालकों पर 25-25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है, जबकि अभयारण्य की यात्रा करवाने वाले ‘नेचर गाइड’ पर 1,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया है। इसके अलावा, वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की संबंधित धाराओं के तहत उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।

पेंच बाघ अभयारण्य (नागपुर) के उप निदेशक प्रभु नाथ शुक्ला ने एक विज्ञप्ति में कहा कि पर्यटकों ने कुही वन्यजीव रेंज के गोथानगांव में कई सफारी वाहनों द्वारा बाघिन ‘एफ-2’ और उसके पांच शावकों का रास्ता रोककर अभयारण्य के नियमों का उल्लंघन किया है।

इस घटना में शामिल पर्यटकों को भविष्य में अभयारण्य में आने से स्थायी रूप से प्रतिबंधित कर दिया गया है तथा भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के उपायों की सिफारिश करने के लिए बोर बाघ अभयारण्य के उप निदेशक की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई है।

शुक्ला ने बताया कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सफारी मार्ग पर नियमित गश्त बढ़ाने के लिए क्षेत्र अधिकारियों और कर्मचारियों को निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा, पर्यावरण के अनुकूल पर्यटन के प्रति जागरूकता और संवेदनशीलता बढ़ाने के लिए ‘नेचर गाइड’ और जिप्सी चालकों के लिए विशेष बैठकें एवं कार्यशालाएं आयोजित की जा रही हैं।

भाषा सुरभि नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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