मुंबई, एक नवंबर (भाषा) महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव मुंबई के माहिम निर्वाचन क्षेत्र में शिवसेना के वर्चस्व का परीक्षण होगा जहां मनसे प्रमुख राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे चुनावी शुरुआत कर रहे हैं।
भाजपा ने त्रिकोणीय मुकाबले को और जटिल बना दिया है जिसमें अमित ठाकरे, शिवसेना के मौजूदा विधायक सदा सरवणकर और प्रतिद्वंद्वी शिवसेना (यूबीटी) की ओर से महेश सावंत मैदान में हैं।
सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन में शिवसेना की सहयोगी होने के बावजूद भाजपा ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) उम्मीदवार का समर्थन करने की इच्छा जताई है।
सूत्रों के अनुसार, सरवणकर को चुनावी मैदान से हटने के लिए मनाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
माहिम निर्वाचन क्षेत्र शहर के मध्य में स्थित है जो प्रभादेवी में सेंचुरी बाजार से माहिम कोलीवाड़ा तक फैला हुआ है। इसी क्षेत्र में अविभाजित शिवसेना (1966) और फिर 2006 में मनसे की स्थापना हुई थी।
इस क्षेत्र में सिद्धिविनायक मंदिर, पुर्तगाली चर्च, माहिम चर्च, सिटीलाइट सिनेमा, माहिम दरगाह और शिवसेना (यूबीटी) का मुख्यालय जैसे स्थल भी हैं। इस निर्वाचन क्षेत्र में सवर्ण मतदाताओं की संख्या अधिक है जो पारंपरिक रूप से कांग्रेस के विरोधी रहे हैं।
इस संबंध में एक राजनीतिक पर्यवेक्षक ने कहा कि हालांकि माहिम में मतदाता अतीत में अधिकांशत: अविभाजित शिवसेना के पक्ष में रहे हैं, लेकिन महा विकास आघाडी (एमवीए) के घटक के रूप में कांग्रेस के साथ गठबंधन करने के उद्धव ठाकरे गुट के फैसले ने उस समीकरण को बिगाड़ दिया है।
वर्ष 2009 के विधानसभा चुनाव में एमएनएस के नितिन सरदेसाई ने माहिम से 48,734 मतों से जीत हासिल की थी। पार्टी के संदीप देशपांडे को 2014 में 42,690 वोट मिले और वह सरवणकर से हार गए। सरदेसाई 2019 में सरवणकर से हार गए लेकिन उन्हें 40,350 वोट मिले।
इस संबंध में एक पर्यवेक्षक ने कहा कि संख्याएं अमित ठाकरे के लिए कम से कम 30,000 मतदाताओं के समर्थन आधार की ओर इशारा करती हैं, जिन्हें भाजपा के मौन समर्थन को देखते हुए फायदा हो सकता है।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा मराठी भाषी आबादी के प्रभुत्व वाले इस निर्वाचन क्षेत्र में शिवसेना (यूबीटी) के खिलाफ नाराजगी है।
इस पृष्ठभूमि में, 32 वर्षीय अमित ठाकरे को यहां एमएनएस की जीत की कहानी लिखने का मौका मिल सकता है क्योंकि बाल ठाकरे द्वारा स्थापित पार्टी में 2022 में हुई तीखी फूट के बाद एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले संगठन के पास कोई मजबूत आधार नहीं है।
उन्होंने कहा कि आज की शिवसेना माहिम में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निर्भर है।
सूत्रों ने कहा कि सरवणकर पर चुनावी दौड़ से हटने का जबरदस्त दबाव है, लेकिन वह अभी तक इससे प्रभावित नहीं हुए हैं। नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख 4 नवंबर है।
इस संबंध में एक अन्य पर्यवेक्षक ने कहा कि मनसे को भाजपा के समर्थन का पड़ोसी निर्वाचन क्षेत्रों वर्ली और शिवड़ी में भी व्यापक प्रभाव पड़ सकता है। वर्ली में मौजूदा विधायक और शिवसेना (यूबीटी) के पूर्व मंत्री आदित्य ठाकरे तथा शिवसेना के मिलिंद देवड़ा के बीच लड़ाई है।
राजनीतिक पर्यवेक्षक ने कहा कि भाजपा का कदम मनसे समर्थकों को वर्ली में देवड़ा का समर्थन करने के लिए प्रेरित कर सकता है क्योंकि वे जानते हैं कि उनके उम्मीदवार संदीप देशपांडे आदित्य ठाकरे को हराने में सक्षम नहीं होंगे।
उन्होंने कहा कि शिवड़ी में मनसे के बाला नंदगांवकर को भाजपा समर्थकों के वोट मिल सकते हैं, जिससे वह शिवसेना (यूबीटी) के उम्मीदवार अजय चौधरी कड़ी चुनौती दे सकते हैं। चौधरी को शिवसेना के पारंपरिक मतदाताओं की नाराजगी का भी सामना करना पड़ सकता है।
माहिम में 2,25,373 मतदाता हैं जिनमें 1,12,638 पुरुष, 1,12,657 महिलाएं और तीसरे लिंग के 78 मतदाता हैं।
राज ठाकरे भी माहिम विधानसभा क्षेत्र के रहने वाले हैं। इस सीट पर कांग्रेस के पास कुछ वोट हैं। मनसे प्रमुख ने 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा के खिलाफ प्रचार किया था लेकिन बाद में उन्होंने अपना रुख बदल लिया था।
माहिम में कांग्रेस को भी कुछ समर्थन प्राप्त है। इसके उम्मीदवार प्रवीण नाइक को 2019 में 15,246 वोट मिले थे।
मनसे के पूर्व विधायक नितिन सरदेसाई ने कहा कि यह केवल मीडिया है जो अमित ठाकरे के लिए भाजपा के समर्थन की बात करता रहता है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे साथ कोई आधिकारिक संपर्क नहीं हुआ है। हम बड़े पैमाने पर प्रचार कर रहे हैं और हमें बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है।’’
राज्य की 288 सदस्यीय विधानसभा के लिए चुनाव 20 नवंबर को होगा और मतों की गिनती 23 नवंबर को होगी।
भाषा नेत्रपाल माधव
माधव
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