मुंबई, 24 जून (भाषा) बम्बई उच्च न्यायालय ने चोरी के शक में तीन नाबालिग लड़कों की बेरहमी से पिटाई करने के आरोपी 33 वर्षीय एक व्यक्ति को जमानत दे दी। आरोपी ने लड़कों को पीटते वक्त उनके गुप्तांगों पर वार किया था। अदालत ने जमानत देते हुए कहा कि मामले में आरोपी की मंशा यौन संबंध बनाने की नहीं थी।
न्यायमूर्ति अनिल किलोर की एकल पीठ ने 21 जून को पारित एक आदेश में कपिल टाक को जमानत दे दी।
सोमवार को उपलब्ध हुए आदेश के मुताबिक, अदालत ने पाया कि यह मामला सिर्फ और सिर्फ शारीरिक और मानसिक यातना का है।
टाक को वर्ष 2021 में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत मारपीट और आपराधिक धमकी के साथ-साथ यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत यौन उत्पीड़न के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
टाक और अन्य आरोपियों ने तीन नाबालिगों को कथित तौर पर निर्वस्त्र कर दिया और चमड़े की बेल्ट से उनकी पिटाई की। इतना ही नहीं आरोपी ने नाबालिग लड़कों का यौन उत्पीड़न भी किया। टाक पर घटना का वीडियो मोबाइल फोन में रिकॉर्ड करने का भी आरोप है।
पीठ ने कहा, ”प्राथमिकी पढ़ने और प्राथमिकी में आरोपी के खिलाफ लगाए गए आरोपों को देखने के बाद, प्रथम दृष्टया ऐसा कुछ भी सामने नहीं आया, जिससे यह पता चले कि अपराधी का यौन संबंध बनाने का कोई इरादा था।”
पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि इस मामले में नाबालिग पीड़ितों को शारीरिक और मानसिक यातना दी गई क्योंकि टाक व अन्य आरोपियों का मानना था कि पीड़ित चोर थे।
टाक की वकील सना खान ने दलील दी कि इस मामले में पॉक्सो के प्रावधान लागू नहीं होते क्योंकि अपराधी की मंशा यौन संबंध बनाने की नहीं थी।
उन्होंने बताया कि टाक 2021 से जेल में बंद है और मामले में आरोपपत्र पहले ही दाखिल किया जा चुका है। नाबालिग लड़कों में से एक की मां ने अप्रैल 2022 में टाक और अन्य के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। महिला ने देखा कि कुछ लोग एक वीडियो देख रहे हैं, जिसमें कुछ नाबालिग लड़कों की बेरहमी से पिटाई की जा रही थी और उनके गुप्तांगों पर वार किया जा रहा था।
महिला ने उनमें से एक की पहचान की, जो उसका बेटा था।
भाषा जितेंद्र नरेश
नरेश
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
नाले में गिरने से महिला की मौत के मामले की…
11 hours ago