मुंबई, 30 जनवरी (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के उन दिशानिर्देशों का सख्ती से अनुपालन करने का निर्देश दिया, जिसमें प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) से बनी मूर्तियों के जलाशयों में विसर्जन पर प्रतिबंध लगाया गया है।
मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति भारती डांगरे की खंडपीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए बृह्नमुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) और महाराष्ट्र के अन्य सभी नगर निगमों को निर्देश दिया कि वे एक और दो फरवरी को मनाए जाने वाले ‘माघी गणेश’ उत्सव से पहले दिशानिर्देशों का पालन सुनिश्चित करें।
उच्च न्यायालय ने मूर्ति निर्माताओं से यह भी पूछा कि अदालत के बार-बार दिए गए आदेश के बावजूद उन्होंने देवी-देवताओं की मूर्तियां बनाने के लिए पीओपी का उपयोग क्यों जारी रखा है।
सीपीसीबी ने 12 मई, 2020 को संशोधित दिशानिर्देश जारी किए थे, जिसमें पीओपी से बनी मूर्तियों के निर्माण, बिक्री और विसर्जन पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
पीओपी एक सफेद पाउडर है जो पानी में मिलाने पर सख्त हो जाता है। बोर्ड ने मूर्तियां बनाने के लिए पर्यावरण के अनुकूल कच्चे माल के उपयोग को प्रोत्साहित किया है।
अदालत ठाणे निवासी रोहित जोशी और मिट्टी से मूर्तियां बनाने वाले नौ कारीगरों सहित अन्य द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें सीपीसीबी के 2020 के दिशानिर्देशों के सख्त अनुपालन का अनुरोध किया गया है।
भाषा शफीक अविनाश
अविनाश
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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)