मुंबई, 26 जुलाई (भाषा) करगिल की बर्फीली चोटियों से पाकिस्तानी सेना को खदेड़ते हुए अपनी जान गंवाने वाले एक जांबाज सैनिक का साथी पिछले 25 साल से हर वर्ष उसके घर जाता है ताकि शहीद के माता-पिता अपने इकलौते बेटे को खोने के दुख से उबर सकें।
वीर चक्र से सम्मानित कर्नल सचिन निंबालकर के लिए हर साल शहीद वीर सपूत उदयमान सिंह के घर जाना एक प्रथा की तरह है। वह 1999 में करगिल की बर्फीली पहाड़ियों की कड़ाके की ठंड में खुद से किए गए वादे को हर साल निभाते हैं।
एक अधिकारी ने बताया कि कर्नल निंबालकर ने आखिरी बार इस साल चार जुलाई को, अपने शहीद साथी जवान उदयमान सिंह के माता-पिता से मुलाकात की थी। संयोग से, करगिल युद्ध के दौरान चार जुलाई की रात को ही 18 ग्रेनेडियर्स की टीम को ‘टाइगर हिल’ की चोटी को फिर से हासिल करने का काम सौंपा गया था।
करगिल की पहाड़ियों से पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ने के लिए भारतीय जवानों ने हमला किया और रस्सियों व अन्य उपकरणों की मदद से पहाड़ी की चोटी पर पहुंच गए।
‘टाइगर हिल’ की चोटी पर पहुंचने के बाद 18 ग्रेनेडियर्स के दल की दुश्मनों के साथ भीषण मुठभेड़ हुई। इस दौरान ग्रेनेडियर उदयमान सिंह (19) को गोली लग गई और वह पांच जुलाई को वीरगति को प्राप्त हो गये।
युद्ध के बाद जब अन्य लोग भारत की जीत का जश्न मना रहे थे, तो वहीं कर्नल निंबालकर अपने शहीद साथी उदयमान सिंह की याद में भावुक थे। दोनों ने मिलकर आतंकवादियों के साथ हुई कई मुठभेड़ में उन्हें धूल चटाई थी। निंबालकर और सिंह के बीच विश्वास और सौहार्द का मजबूत रिश्ता था।
कर्नल निंबालकर एक युवा कैप्टन थे और उन्होंने पाकिस्तानी सेना से पुन: टाइगर हिल को पाने के लिए लड़ाई में अपने सैनिकों का नेतृत्व किया था तथा जीत हासिल की थी।
निंबालकर ने उसी दौरान यह फैसला किया कि वह आने वाले वर्षों में चाहे कहीं भी रहें, ग्रेनेडियर उदयमान के परिवार से कम से कम साल में एक बार जरुर मुलाकात करेंगे, ताकि उनके माता-पिता का दुख थोड़ा कम किया जा सके।
उस समय 24 वर्षीय निंबालकर ने खुद से यह वादा किया था और तब से 25 साल बीत गए हैं, वह हर साल अपना वादा पूरा करते हैं। वह विदेश में, सैन्य प्रशिक्षण क्षेत्रों और सैन्य पाठ्यक्रमों में शामिल रहे हैं, लेकिन उन्होंने अपने साथी उदयमान सिंह के परिजनों से मिलने के लिए हमेशा समय निकाला है।
ग्रेनेडियर उदयमान सिंह के परिवार में उनके माता-पिता और दो बहनें हैं। माता-पिता जम्मू के पास शामा चक गांव में रहते हैं।
अधिकारी ने बताया कि कर्नल निंबालकर ने शहीद जवान की दो बहनों की शादी की भी भाई की जिम्मेदारी निभाई थी।
भाषा प्रीति मनीषा
मनीषा
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