अमरावती, 25 अक्टूबर (भाषा) वाईएसआरसीपी प्रमुख जगन मोहन रेड्डी की बहन वाई. एस. शर्मिला ने शुक्रवार को कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री एवं उनके पिता वाई. एस. राजशेखर रेड्डी के जीवित रहते शुरू किये गये व्यवसाय पारिवारिक संपत्ति हैं और जगन सिर्फ इनके ‘‘संरक्षक’’ हैं।
उन्होंने एक खुले पत्र में कहा कि उनके दिवंगत पिता राजशेखर रेड्डी की इच्छा थी कि जगन सभी कारोबार को चार नाती-पोतों (जगन और शर्मिला के दो-दो बच्चों) के बीच बराबर-बराबर बांट दें।
उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों के दौरान उन्हें विभिन्न कंपनियों से लाभांश के रूप में अपने परिवार के हिस्से के रूप में 200 करोड़ रुपये मिले, जिससे यह तथ्य स्थापित होता है कि राजशेखर रेड्डी के सभी चार नाती-पोतों को बराबर हिस्सा मिलेगा।
शर्मिला ने कहा, ‘‘ये (सारी संपत्तियां) जगन के स्वामित्व में नहीं हैं। वह केवल सभी मौजूदा पारिवारिक व्यवसायों के ‘‘संरक्षक’’ हैं। जगन की जिम्मेदारी है कि वह सभी व्यवसायों को चार नाती-पोतों में बराबर-बराबर बांट दें। यह (दिवंगत) राजशेखर रेड्डी का आदेश था। वाईएसआर ने अपने बच्चों और पत्नी को अपनी इच्छा से अवगत कराया। केवीपी रामचंद्र राव, वाईवी सुब्बारेड्डी और विजयसाई रेड्डी समेत उनके करीबी सहयोगियों को इस बारे में पता है।’’
उन्होंने कहा कि वह संपत्ति में उचित हिस्सा मांग रही हैं क्योंकि उनके दिवंगत पिता चाहते थे कि सभी नाती-पोतों को बराबर का हिस्सा मिले।
उन्होंने कहा, ‘‘शेयरों के हस्तांतरण (सरस्वती पावर एंड इंडस्ट्रीज के) का उनकी जमानत रद्द होने से कोई लेना-देना नहीं है।’’
उन्होंने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय ने ‘सरस्वती पावर एंड इंडस्ट्रीज’ के शेयर जब्त नहीं किए हैं बल्कि कंपनी की केवल 32 करोड़ रुपये की जमीन जब्त की है।
आंध्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी (एपीसीसी) प्रमुख शर्मिला ने कहा कि जगन और उनके समर्थकों को लगता है कि पिछले विधानसभा चुनाव में उनकी हार का कारण वही थीं और इसलिए उनके भाई इस शर्त के साथ समझौता करना चाहते थे कि वह कभी भी उनकी, उनकी पत्नी भारती और कडप्पा के सांसद एवं चचेरे भाई वाईएस अविनाश रेड्डी की आलोचना नहीं करेंगी।
उन्होंने हालांकि इस पर असहमति जताते हुए कहा कि एक राजनीतिक पार्टी के नेता के तौर पर यह संभव नहीं है।
उन्होंने आरोप लगाया कि उनके भाई के साथ समझौता सफल नहीं हुआ क्योंकि वह शर्तों से सहमत नहीं थीं और इसके बाद जगन ने ‘नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल’ (एनसीएलटी) में याचिका दायर कर दी।
एपीसीसी प्रमुख ने दावा किया कि जगन ने हमेशा उनके राजनीति में आने का विरोध किया।
भाषा
देवेंद्र नरेश
नरेश
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