महाराष्ट्र के शहरों में भीड़ और बांग्लादेशी घुसपैठियों की बढ़ती संख्या चिंता का विषय : अजित पवार |

महाराष्ट्र के शहरों में भीड़ और बांग्लादेशी घुसपैठियों की बढ़ती संख्या चिंता का विषय : अजित पवार

महाराष्ट्र के शहरों में भीड़ और बांग्लादेशी घुसपैठियों की बढ़ती संख्या चिंता का विषय : अजित पवार

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Modified Date: January 31, 2025 / 08:03 PM IST
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Published Date: January 31, 2025 8:03 pm IST

पुणे, 31 जनवरी (भाषा)महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने शुक्रवार को नगर नियोजन की चुनौतियों पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि न केवल उत्तरी राज्यों के लोग बल्कि बांग्लादेशी घुसपैठिये भी राज्य के शहरों में आ रहे हैं।

पवार ने शहरी विकास एवं शहर नियोजन विभाग द्वारा आयोजित एक पुरस्कार समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि पिंपरी चिंचवड़ क्षेत्र सहित पुणे की जनसंख्या 2054 तक दो करोड़ तक पहुंच जाएगी।

उन्होंने कहा, “शहर में यातायात और परिवहन के मुद्दे लगातार चुनौती भरे होते जा रहे हैं।”

पवार ने कहा, “हमें गतिशीलता में सुधार करने की आवश्यकता है। अनुमान है कि 2054 तक पिंपरी-चिंचवड़ सहित पुणे की जनसंख्या लगभग दो करोड़ तक पहुंच जाएगी और हमारे प्रयास अपर्याप्त हैं। अगर जनसंख्या दो करोड़ तक पहुंच जाएगी तो हम इतनी बड़ी आबादी की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त पानी कहां से लाएंगे?”

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में मुलशी में टाटा बिजली परियोजना द्वारा उपयोग किए जाने वाले बांध के पानी को पुणे की जरूरतों को पूरा करने के लिए शहरी क्षेत्रों में मोड़ा जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, “हमें अदालतों का रुख करना होगा ताकि बिजली उत्पादन के लिए उपयोग किए जाने वाले बांध के पानी को सार्वजनिक उपयोग के लिए आवंटित किया जाए।”

पवार ने कहा, “लोग शहरों की ओर पलायन करते हैं क्योंकि उन्हें ग्रामीण क्षेत्रों में अवसर नहीं मिलते। जैसे-जैसे पलायन बढ़ता है, शहरों में भीड़भाड़ बढ़ती जाती है, जिससे झुग्गी-झोपड़ियां बढ़ती जाती हैं। सरकार अच्छे इरादों के साथ झुग्गी पुनर्वास योजनाओं को लागू करती है।”

उन्होंने कहा, “हालांकि जब झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वालों को इन योजनाओं के तहत उचित आवास मिल जाता है, तो वे उत्तर प्रदेश में अपने रिश्तेदारों को सूचित करते हैं, जो फिर यहां आकर बस जाते हैं। उत्तर प्रदेश और बिहार के लोग ही नहीं, बल्कि बांग्लादेशी घुसपैठिये भी महाराष्ट्र के शहरों में आते हैं।”

भाषा जितेंद्र धीरज

धीरज

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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)