पुणे, 30 जनवरी (भाषा) राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (एसपी) से लोकसभा सदस्य सुप्रिया सुले ने पुणे नगर निगम प्रशासन को शहरी नियोजन की विफलता और बढ़ते प्रदूषण के कारण गिलैन-बार्रे सिंड्रोम (जीबीएस) के बढ़ते मामलों का जिम्मेदार ठहराया। जीबीएस एक दुलर्भ तंत्रिका विकार है।
सांसद सुले ने कहा कि जीबीएस मामलों के बढ़ने के पीछे के वैज्ञानिक कारणों का पता लगाने की आवश्यकता है और उन्होंने सरकार से जीबीएस मरीजों के इलाज का खर्च उठाने की मांग की।
सुले ने पुणे के सिंहगढ़ रोड स्थित नांदेड़ गांव में एक कुएं का निरीक्षण किया। माना जा रहा है कि इस कुंए से गंदा पानी आसपास के क्षेत्रों में इस्तेमाल किया गया, जिससे जीबीएस के मामले बढ़े।
रविवार को सोलापुर की एक 56 वर्षीय महिला और एक 40 वर्षीय पुरुष की संदिग्ध रूप से जीबीएस के कारण मौत हुई है।
अधिकारियों के अनुसार, अब तक पुणे और महाराष्ट्र के अन्य हिस्सों में 127 संदिग्ध जीबीएस मरीजों की पहचान की गई है।
सुले ने इस स्थिति को एक ‘महामारी’ बताया और इसे काबू करने के लिए सभी प्रयासों की आवश्यकता जताई।
उन्होंने दावा किया कि हाल ही में पुणे नगर निगम में शामिल किए गए क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे की कमी है, फिर भी नए भवनों और परियोजनाओं को अनुमति दी जा रही है।
पानी और हवा के प्रदूषण के कारण बीमारियों का बढ़ना और शहरी नियोजन की विफलता के कारण जीबीएस के मामले बढ़ने की आशंका है। सुले ने कहा कि सरकार को इस मुद्दे पर तत्काल कदम उठाने चाहिए।
लोकसभा सदस्य ने कहा कि वह जीबीएस मुद्दे पर पहले ही केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री से बात कर चुकी हैं।
प्रशासन ने बताया कि पुणे शहर के विभिन्न हिस्सों से 144 पानी के नमूने जांच के लिए भेजे गए जिसमें से आठ स्रोतों से पानी संदूषित पाया गया है।
जीबीएस बैक्टीरिया और वायरल संक्रमण के कारण होता है और यह बीमारी संदूषित पानी के कारण होने की आशंका जताई जा रही है।
भाषा राखी नरेश
नरेश
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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)