मुंबई, नौ अक्टूबर (भाषा) सीबीआई की एक विशेष अदालत ने सीमा शुल्क एवं केंद्रीय उत्पाद शुल्क विभाग के एक पूर्व अधीक्षक और दो अन्य को निर्यात संबंधी दस्तावेजों की जालसाजी और करीब 14 करोड़ रुपये की शुल्क चोरी से संबंधित 2009 के एक मामले में बुधवार को दोषी ठहराया।
विशेष न्यायाधीश एसएम मेंजोंगे ने तीनों को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 420 (धोखाधड़ी) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दोषी ठहराया और उन्हें एक वर्ष के साधारण कारावास की सजा सुनाई।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, विभाग के तत्कालीन अधीक्षक (तकनीकी) दत्ताराम कुबडे ने एक निर्यात कंपनी के मालिक मोहम्मद हुसैन सत्तार को बी-17 बांड (निर्यात-आयात व्यापार में प्रयुक्त सामान्य प्रयोजन वाला बांड) में जालसाजी करने तथा गलत सूचना प्रस्तुत करने की अनुमति दी।
अधीक्षक ईओयू (निर्यात उन्मुख योजना) का लाभ उठाते हुए करों से बचने की साजिश में सक्रिय रूप से शामिल था। इससे 13.76 करोड़ रुपये की शुल्क चोरी पकड़ी गई।
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से विशेष लोक अभियोजक आशीष बिलगैयां ने दावा किया कि तीसरे दोषी नरेश भाटिया ने सत्तार द्वारा शुरू की गई धोखाधड़ी को जारी रखा।
अदालत ने सबूतों के अभाव में मामले में दो अन्य आरोपियों को बरी कर दिया
भाषा
नोमान अविनाश
अविनाश
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