मां को अदालत में घसीटना क्या 'घर-घर की कहानी' है : कांग्रेस नेता शर्मिला का भाई जगन पर पलटवार |

मां को अदालत में घसीटना क्या ‘घर-घर की कहानी’ है : कांग्रेस नेता शर्मिला का भाई जगन पर पलटवार

मां को अदालत में घसीटना क्या 'घर-घर की कहानी' है : कांग्रेस नेता शर्मिला का भाई जगन पर पलटवार

:   Modified Date:  October 26, 2024 / 08:10 PM IST, Published Date : October 26, 2024/8:10 pm IST

अमरावती, 26 अक्टूबर (भाषा) वाईएसआर कांग्रेस के प्रमुख वाई एस जगन मोहन रेड्डी की ‘घर-घर की कहानी’ वाली टिप्पणी को लेकर उनकी बहन वाईएस शर्मिला ने उनकी आलोचना की है।

शर्मिला ने जगन पर निशाना साधते हुए शनिवार को कहा कि क्या एक मां को अदालत में घसीटना इस वाक्यांश को उचित ठहराता है।

कांग्रेस की आंध्र प्रदेश इकाई की अध्यक्ष शर्मिला ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि सरस्वती पावर एंड इंडस्ट्रीज के शेयर जगन के ”क्विड प्रो क्वो” (मुआवजा) मामलों में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा कभी भी जब्त नहीं किए गए थे और इसलिए उन्हें बहुत पहले ही हस्तांतरित किया जा सकता था।

उन्होंने कहा कि जगन ने इन शेयरों को हस्तांतरित करने का वादा किया था।

दोनों भाई-बहनों ने 2019 में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके तहत जगन ”प्रेम और स्नेह के कारण” सरस्वती पावर एंड इंडस्ट्रीज में अपने और अपनी पत्नी के शेयरों को उपहार विलेख के माध्यम से अपनी बहन को हस्तांतरित करेंगे, जो लंबित मामलों के परिणाम के अधीन होगा।

हालांकि, जगन ने समझौता ज्ञापन को रद्द करने का इरादा जताते हुए सितंबर में एनसीएलटी (राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण) का दरवाजा खटखटाया है। जगन ने शर्मिला पर अपने और अपनी पत्नी भारती के स्वामित्व वाली कंपनी के शेयरों को अवैध रूप से अपने और अपनी मां विजयम्मा के नाम पर स्थानांतरित करने का आरोप लगाया है।

शर्मिला ने रोते हुए कहा, ‘‘जगनमोहन रेड्डी का कहना है कि ऐसा हर घर में होता है और यह ‘घर-घर की कहानी’ है। घर घर की कहानी क्या है? क्या एक मां को अदालत में घसीटना घर-घर की कहानी है? क्या ये हर घर में होता है? क्या आपमें इंसानियत नहीं है? क्या आपमें कोई संवेदना नहीं है? ’’

उन्होंने कहा कि पिछले पांच वर्षों से समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर होने के बावजूद उन्होंने कभी भी समझौते के लिए किसी अदालत या प्रचार के लिए किसी मीडिया हाउस से संपर्क करने की कोशिश नहीं की, क्योंकि उन्हें डर था कि इससे राजशेखर रेड्डी के परिवार की प्रतिष्ठा धूमिल हो जाएगी।

भाषा रवि कांत रवि कांत रंजन

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