मुंबई, 29 जनवरी (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने एक गर्भवती महिला की मौत के बाद बुधवार को नगर निगम संचालित 30 प्रसूति गृहों के ‘ऑडिट’ के लिए आठ सदस्यीय समिति का गठन किया है। महिला का कथित तौर पर एक अस्पताल में बिजली गुल होने के कारण मोबाइल फोन की रोशनी में ऑपरेशन किया गया था।
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति नीला गोखले की खंडपीठ ने कहा कि चिकित्सा क्षेत्र के विशेषज्ञों वाला पैनल ‘ऑडिट’ करेगा और आठ सप्ताह में अपनी रिपोर्ट सौंपेगा।
उच्च न्यायालय 26 वर्षीय गर्भवती महिला के पति द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था। याचिका में मुआवजे और पिछले वर्ष अप्रैल में हुई इस घटना की विस्तृत जांच की मांग की गई थी।
याचिका में कहा गया है कि मुंबई के भांडुप इलाके में सुषमा स्वराज मैटरनिटी होम में कथित तौर पर बिजली गुल होने के कारण मोबाइल फोन की रोशनी में महिला की सर्जरी की गई।
याचिका में कहा गया कि सर्जरी के बाद महिला को गंभीर हालत में सायन अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां कुछ घंटों बाद उसकी मौत हो गई।
याचिका में कहा गया है कि कई बार अनुरोध करने के बावजूद महिला के पति को उसकी मृत पत्नी का मेडिकल रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं कराया गया।
याचिकाकर्ता की वकील गायत्री सिंह ने दलील दी थी कि प्रसूति गृह में बिजली, पर्याप्त स्टाफ और बिस्तरों की कमी थी। उन्होंने कहा कि घटना वाले दिन बिजली आपूर्ति कई बार बाधित हुई।
पीठ ने कहा कि दो-दो चिकित्सकों की चार टीम ‘ऑडिट’ करने के लिए विभिन्न नर्सिंग होम का दौरा करेंगी। पीठ ने पैनल को आठ सप्ताह के भीतर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया।
भाषा शोभना अविनाश
अविनाश
Follow us on your favorite platform:
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)