पूर्व सांसद के खिलाफ मानहानि मामला: मजिस्ट्रेट के आदेश के खिलाफ उद्धव, राउत की अर्जी खारिज |

पूर्व सांसद के खिलाफ मानहानि मामला: मजिस्ट्रेट के आदेश के खिलाफ उद्धव, राउत की अर्जी खारिज

पूर्व सांसद के खिलाफ मानहानि मामला: मजिस्ट्रेट के आदेश के खिलाफ उद्धव, राउत की अर्जी खारिज

:   Modified Date:  September 23, 2024 / 09:28 PM IST, Published Date : September 23, 2024/9:28 pm IST

मुंबई, 23 सितंबर (भाषा) शिवसेना युबीटी नेता उद्धव ठाकरे और संजय राउत की वह संयुक्त अपील एक विशेष अदालत ने सोमवार को खारिज कर दी जो उन्होंने एक मजिस्ट्रेट के आदेश के खिलाफ दायर की थी। मजिस्ट्रेट ने अपने आदेश में लोकसभा के पूर्व सदस्य राहुल शेवाले द्वारा दायर मानहानि के मामले में ठाकरे और राउत को आरोपमुक्त करने से इनकार कर दिया था।

सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों के विशेष न्यायाधीश ए यू कदम ने ठाकरे और राउत के पुनरीक्षण आवेदन को अस्वीकार करते हुए निर्देश दिया कि मामले को आगे की कार्यवाही के लिए निचली अदालत (मजिस्ट्रेट) में भेजा जाए।

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के सदस्य शेवाले ने शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के मराठी और हिंदी संस्करणों में उनके खिलाफ ‘अपमानजनक लेख’ प्रकाशित करने के लिए ठाकरे और राउत के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 500 (मानहानि) के तहत कार्यवाही की मांग की है।

शेवाले ने 29 दिसंबर, 2022 को प्रकाशित उन लेखों पर आपत्ति जतायी है, जिनमें आरोप लगाया गया है कि उनका पाकिस्तान के कराची में होटल और रियल एस्टेट का कारोबार है। पिछले साल जनवरी में अधिवक्ता चित्रा सालुंखे के माध्यम से दायर शेवाले की याचिका के अनुसार, लेख ‘‘मनगढ़ंत’’ और ‘‘किसी भी गुणदोष से रहित’’ थे।

बेगुनाही का दावा करते हुए और आरोप लगाते हुए कि उन्हें झूठा फंसाया गया है, ठाकरे और राउत ने मजिस्ट्रेट अदालत के समक्ष आरोपमुक्त करने का आवेदन दायर किया था।

मजिस्ट्रेट ने अक्टूबर 2023 में उनकी अर्जियों को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि सीआरपीसी में सामान्य मामलों (जिनमें अधिकतम सजा दो वर्ष होती है) में प्रक्रिया जारी होने के बाद आरोपी को आरोपमुक्त करने का कोई विशेष प्रावधान नहीं है।

मजिस्ट्रेट के आदेश के खिलाफ अपनी पुनरीक्षण याचिका में ठाकरे और राउत ने दावा किया कि लेख एक महिला के संवाददाता सम्मेलन पर आधारित था। उन्होंने कहा कि इसे अन्य समाचार पत्रों में भी प्रकाशित किया गया था और सोशल मीडिया मंच पर पोस्ट किया गया था।

याचिका में कहा गया है कि शेवाले ने ठाकरे और राउत के खिलाफ चुनिंदा रूप से मामला दर्ज कराया। याचिका में संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) का हवाला दिया गया है जो भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार देता है और इसके दायरे में प्रेस की स्वतंत्रता भी शामिल है।

उन्होंने पुनरीक्षण आवेदन में कहा, ‘स्वतंत्र और शक्तिशाली मीडिया का अस्तित्व लोकतंत्र की आधारशिला है। प्रेस का यह कर्तव्य है कि वह किसी राजनीतिक व्यक्ति का साक्षात्कार, हमारे देश के सामाजिक और आर्थिक विकास के बारे में उनके विचार और साथ ही किसी भी राजनीतिक व्यक्ति के खिलाफ उनके विचार प्रकाशित करे।’

पुनरीक्षण आवेदन में कहा गया है कि यह ‘पूरी तरह से स्पष्ट’ है कि शिकायत ‘झूठी और मनगढ़ंत’ है और प्रथम दृष्टया भारतीय दंड संहिता की धारा 500 के तहत अपराध साबित करने में विफल रही है, जैसा कि शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है। इसमें कहा गया है इस प्रकार, मजिस्ट्रेट ने ठाकरे और राउत के खिलाफ प्रक्रिया (समन) जारी करने के आदेश में खामी है।

भाषा अमित रंजन

रंजन

 

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