अवैध रेहड़ी-पटरी वालों के मामले पर अदालत ने लगाई प्राधिकारियों को फटकार |

अवैध रेहड़ी-पटरी वालों के मामले पर अदालत ने लगाई प्राधिकारियों को फटकार

अवैध रेहड़ी-पटरी वालों के मामले पर अदालत ने लगाई प्राधिकारियों को फटकार

:   Modified Date:  July 22, 2024 / 03:45 PM IST, Published Date : July 22, 2024/3:45 pm IST

मुंबई, 22 जुलाई (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने अवैध रेहड़ी-पटरी वालों के कारण पैदा होने वाली समस्या से नहीं निपट पाने पर पुलिस और नगर निकाय प्राधिकारियों को सोमवार को कड़ी फटकार लगाई और सवाल किया कि क्या इन विक्रेताओं को मंत्रालय या राज्यपाल के आवास के बाहर दुकानें लगाने की अनुमति दी जाएगी।

न्यायमूर्ति एम. एस. सोनका और न्यायमूर्ति कमल खाता की खंडपीठ ने कहा कि यदि अवैध रेहड़ी पटरी वालों और विक्रेताओं की समस्या बार-बार पैदा होती है तो इसका स्थायी समाधान आवश्यक है और अधिकारी असहाय होने का दावा नहीं कर सकते।

अदालत ने कहा कि इस पर रोक लगनी चाहिए।

अदालत ने इस बात पर अफसोस जताया कि नगर निकाय और पुलिस प्राधिकारी अवैध एवं अनधिकृत रेहड़ी-पटरी वालों और विक्रेताओं के खिलाफ नागरिकों की शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं करते।

उसने कहा, ‘‘आप (प्राधिकारी) चाहते हैं कि आम नागरिक हर दिन अदालत में आकर बैठें? यह लोगों को सरासर परेशान करना है। यह पूरी तरह से अराजकता है। निगम नागरिकों की शिकायतों पर गौर नहीं करता और ना ही पुलिस करती है। आम आदमी क्या करे?’’

पीठ ने कहा, ‘‘जो लोग कानून का पालन करना चाहते हैं, उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है। पूरा सरकारी तंत्र ध्वस्त हो गया है। ये अनधिकृत रेहड़ी-पटरी वाले बेशर्मी से आते हैं। मंत्रालय या राज्यपाल के आवास के सामने ऐसा होने दीजिए, फिर देखिए, यह सब कैसे रुकता है। आपने वहां पूरी सुरक्षा व्यवस्था कर रखी है।’’

उच्च न्यायालय ने शहर में अवैध एवं अनधिकृत रेहड़ी-पटरी वालों और विक्रेताओं के मामले पर पिछले वर्ष स्वतः संज्ञान लिया था।

अदालत ने बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) और पुलिस को अवैध रेहड़ी-पटरी वालों के खिलाफ उठाए गए कदमों के बारे में विस्तृत हलफनामा दायर करने का पिछले महीने निर्देश दिया था।

पुलिस की ओर से पेश हुए बीएमसी के वकील अनिल सिंह और सरकारी वकील पूर्णिमा कंथारिया ने हलफनामा दाखिल करने के लिए और समय मांगा। इससे नाराज पीठ ने कहा कि यह एक गंभीर मामला है और अगर अधिकारी अदालत के आदेशों का पालन नहीं कर सकते, तो अदालत को बंद कर दिया जाना चाहिए।

अदालत ने कहा, ‘‘रात 12 बजे तक काम करें और एक सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करें।’’

मामले में आगे की सुनवाई के लिए 30 जुलाई की तारीख तय की गई है।

पीठ ने कटाक्ष करते हुए पूछा कि क्या सेना को बुलाया जाए, क्योंकि पुलिस और नगर निकाय प्राधिकारी अवैध रेहड़ी-पटरी वालों और विक्रेताओं को रोकने में असमर्थ हैं।

भाषा सिम्मी नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)