मुंबई, 12 मार्च (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने बुधवार को ‘टाटा इंस्टीट्यूट आफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) से पिछले साल निलंबित दलित पीएचडी छात्र को कोई राहत देने से इनकार कर दिया। छात्र को कथित कदाचार और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के लिए निलंबित किया गया था।
न्यायमूर्ति ए एस चंदुरकर और न्यायमूर्ति एम एम सथाये की खंडपीठ ने छात्र रामदास के. एस. की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें संस्थान द्वारा अप्रैल 2024 में उसे दो साल के लिए निलंबित करने के फैसले को चुनौती दी गई थी।
उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि यह हस्तक्षेप करने लायक मामला नहीं है। याचिका में कोई दम नहीं है, इसलिए इसे खारिज किया जाता है।’
रामदास ने अपनी याचिका में कहा कि निलंबन आदेश के अनुसार उसकी छात्रवृत्ति रोक दी गई है, जिसके कारण उसे कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। रामदास ने कहा कि उन्हें ‘संस्थान द्वारा गैरकानूनी, मनमाने और अनुचित तरीके से निलंबित किया गया है।’’
टीआईएसएस ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि रामदास के पास एक वैकल्पिक उपाय है और वह संस्थान के भीतर गठित समिति के समक्ष निलंबन आदेश के खिलाफ अपील कर सकते हैं। हालांकि, रामदास ने संस्थान द्वारा उसके मामले की निष्पक्ष सुनवाई नहीं किये जाने की आशंका जताई।
भाषा अमित पवनेश
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