मुंबई, आठ जुलाई (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने पालघर जिले के वसई में उन 41 इमारतों को ध्वस्त किये जाने से कोई राहत देने से सोमवार को इनकार कर दिया जो ‘‘अवैध और अनधिकृत’’ हैं तथा सीवेज शोधन संयंत्र एवं कूड़ा जमा करने के लिए आरक्षित स्थल पर निर्मित की गयी हैं।
हालांकि, न्यायमूर्ति एम एस सोनक और न्यायमूर्ति कमल खता की खंडपीठ ने इमारत में रह रहे फ्लैट मालिकों को परिसर खाली करने के लिए 30 सितंबर तक का समय दिया, जो उनके द्वारा इस संबंध में हलफनामा दाखिल करने पर निर्भर करेगा।
इस साल जून में पीठ ने इमारतों के खिलाफ दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए था कि इस तरह के अवैध ढांचों के खिलाफ कार्रवाई करने में वसई विरार शहर महानगरपालिका के लिए कोई बाधा नहीं है।
इसके बाद, महानगरपालिका ने कुछ ढांचों को ध्वस्त कर दिया और 41 अन्य इमारतों को ध्वस्त किये जाने का नोटिस जारी करते हुए उनमें रहने वाले लोगों को 24 घंटे के अंदर इन्हें खाली करने का निर्देश दिया।
इन इमारतों में फ्लैट का स्वामित्व रखने वाले 15 लोगों ने सोमवार को उच्च न्यायालय का रुख कर इन्हें ध्वस्त किये जाने की कार्रवाई के खिलाफ राहत देने का अनुरोध किया।
हालांकि, अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता इस बारे में साक्ष्य देने में नाकाम रहे हैं कि जिन इमारतों में वे रह रहे हैं उनका निर्माण प्राधिकारों से अनुमति प्राप्त करने के बाद किया गया था।
उच्च न्यायालय ने कहा कि फ्लैट मालिकों से बिल्डर ने धोखाधड़ी की होगी जिसके लिए वे उस व्यक्ति पर मुकदमा कर सकते हैं और क्षतिपूर्ति हासिल कर सकते हैं।
भाषा सुभाष माधव
माधव
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