मुंबई, 27 अगस्त (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख की संलिप्तता वाले भ्रष्टाचार के मामले में पुलिसकर्मी सचिन वाजे की जमानत अर्जी पर सुनवाई से मंगलवार को खुद को अलग कर लिया।
यह मामला केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने दर्ज किया था।
वाजे न्यायिक हिरासत में है। उसने जमानत पर रिहा करने का अनुरोध करते हुए दावा किया है कि वह मामले में एक सरकारी गवाह है और अन्य आरोपियों के जमानत पर जेल से बाहर होने के आधार पर उसे भी यह राहत मिलनी चाहिए।
न्यायमूर्ति भारती डांगरे और न्यायमूर्ति मंजूषा देशपांडे की खंडपीठ ने इस महीने की शुरूआत में याचिका पर संक्षिप्त सुनवाई की थी और कहा था कि यह अंतरिम जमानत अनुरोध पर आदेश पहले जारी करेगी और फिर याचिका पर सुनवाई करेगी।
हालांकि, मंगलवार को न्यायमूर्ति डांगरे ने विषय की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया।
न्यायमूर्ति डांगरे ने कोई विवरण दिये बिना कहा, ‘‘मुझे तब यह पता नहीं था कि इस विषय में अनिल देशमुख भी संलिप्त हैं। मैं इससे जुड़ी अर्जियों पर सुनवाई नहीं कर सकती।’’
अर्जी अब सुनवाई के लिए दूसरी खंडपीठ के समक्ष प्रस्तुत की जाएगी।
वाजे ने अपनी अर्जी में कहा है कि सरकारी गवाह घोषित किये जाने के बाद भी उन्हें जेल में रखना उनके मूल अधिकारों का हनन है।
सीबीआई ने जमानत अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि वाजे ने मामले में गवाही नहीं दी है और उसे जमानत पर रिहा करना मामले के सर्वश्रेष्ठ हित में नहीं होगा।
पूर्व पुलिसकर्मी को जून 2022 में विशेष सीबीआई अदालत ने सरकारी गवाह घोषित किया था।
वाजे को दक्षिण मुंबई में, उद्योगपति मुकेश अंबानी के आवास के बाहर विस्फोटक लदा एक वाहन पाये जाने और ठाणे के कारोबारी मनसुख हिरेन की हत्या में कथित भूमिका को लेकर मार्च 2021 में गिरफ्तार किया गया था।
अप्रैल 2021 में उच्च न्यायालय ने सीबीआई को पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह द्वारा देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार और आधिकारिक शक्ति के दुरुपयोग के आरोपों की प्रारंभिक जांच करने का निर्देश दिया था।
इस जांच के आधार पर जांच एजेंसी ने देशमुख, उनके सहयोगियों और वाजे के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी।
सिंह ने आरोप लगाया था कि तत्कालीन गृह मंत्री देशमुख ने पुलिसकर्मियों को महानगर के रेस्तरां और बार से हर महीने 100 करोड़ रुपये की उगाही करने का निर्देश दिया था।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में आरोपी बनाये जाने के कारण पूर्व में निलंबित किये गए वाजे को बहाल कर दिया गया और वह देशमुख की ओर से उगाही कर रहा था।
मामले में अन्य आरोपी देशमुख, उनके पूर्व सहयोगी संजीव पलांडे और कुंदन शिंदे हैं। तीनों जमानत पर जेल से बाहर हैं।
भाषा सुभाष पवनेश
पवनेश
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