‘महायुति’ के नेता ‘गजनी सिंड्रोम’ से पीड़ित : कांग्रेस |

‘महायुति’ के नेता ‘गजनी सिंड्रोम’ से पीड़ित : कांग्रेस

‘महायुति’ के नेता ‘गजनी सिंड्रोम’ से पीड़ित : कांग्रेस

Edited By :  
Modified Date: April 2, 2025 / 07:40 PM IST
,
Published Date: April 2, 2025 7:40 pm IST

(फोटो के साथ)

मुंबई, दो अप्रैल (भाषा) महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार द्वारा फसल ऋण माफी से इनकार करने के बाद सरकार पर तीखा प्रहार करते हुए कांग्रेस ने बुधवार को आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत गठबंधन के नेता ‘‘गजनी सिंड्रोम’’ से ग्रस्त हैं। विपक्षी दल ने बुवाई के मौसम से पहले किसानों के ऋण माफ करने की मांग की।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने कहा कि ‘महायुति’ सहयोगियों ने चुनाव प्रचार के दौरान किसानों के ऋण माफ करने और महिलाओं के लिए भत्ता 1,500 रुपये से बढ़ाकर 2,100 रुपये करने का वादा किया था, लेकिन सत्ता में आने के बाद उन्होंने अपना रुख बदल लिया।

सपकाल ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘बुवाई के मौसम से पहले किसानों के ऋण माफ किए जाने चाहिए। यदि इस तथाकथित ‘ट्रिपल इंजन’ सरकार में थोड़ी भी विश्वसनीयता बची है, तो उसे केंद्र से विशेष पैकेज लेना चाहिए।’’

उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनावों में किए गए वादों के संबंध में ‘महायुति’ के रुख में ‘‘अचानक बदलाव’’ से पता चलता है कि उनके नेता ‘‘गजनी सिंड्रोम’’ से पीड़ित हैं। उन्होंने 2008 में आई फिल्म ‘गजनी’ का संदर्भ दिया, जिसका नायक पुरानी बातें भूल जाता है।

अजित पवार ने कहा था कि महाराष्ट्र की मौजूदा वित्तीय हालत फसल ऋण माफी के अनुकूल नहीं है और उन्होंने किसानों से इस संबंध में घोषणा की प्रतीक्षा करने के बजाय समय पर किस्तों का भुगतान करने को कहा।

सपकाल ने कहा, ‘‘उन्होंने 31 मार्च से पहले ऋण चुकाने का आदेश जारी किया है। अचानक लिए गए इस फैसले से पता चलता है कि महायुति के नेता गजनी सिंड्रोम से पीड़ित हैं। बुवाई के मौसम से पहले किसानों के ऋण माफ होने चाहिए।’’

उन्होंने दावा किया कि बजट सत्र बिना कोई महत्वपूर्ण निर्णय लिए समाप्त कर दिया गया और बुनियादी सार्वजनिक मुद्दों पर ध्यान देने के बजाय औरंगजेब की कब्र का मुद्दा उठाया गया।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘उन्होंने सिर्फ बड़े-बड़े भाषण दिए लेकिन अपना घोषणापत्र भूल गए। मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री मंच पर प्रस्तुति देने वालों की तरह काम कर रहे हैं।’’

सपकाल ने यह भी दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नागपुर में आरएसएस संस्थापक के स्मारक की हालिया यात्रा से पता चलता है कि उन्होंने संघ की ओर रुख किया क्योंकि उनका पद खतरे में है।

भाषा आशीष प्रशांत

प्रशांत

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)