मुंबई में पेट्रोल और डीजल वाहनों पर प्रतिबंध की व्यवहार्यता के अध्ययन के लिए समिति गठित |

मुंबई में पेट्रोल और डीजल वाहनों पर प्रतिबंध की व्यवहार्यता के अध्ययन के लिए समिति गठित

मुंबई में पेट्रोल और डीजल वाहनों पर प्रतिबंध की व्यवहार्यता के अध्ययन के लिए समिति गठित

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Modified Date: January 28, 2025 / 04:20 PM IST
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Published Date: January 28, 2025 4:20 pm IST

मुंबई, 28 जनवरी (भाषा) महाराष्ट्र सरकार ने खराब होती वायु गुणवत्ता के मद्देनजर मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर) में पेट्रोल और डीजल वाहनों पर प्रतिबंध की व्यवहार्यता का अध्ययन के लिए सात सदस्यीय समिति का गठन किया है।

यहां 22 जनवरी को जारी सरकारी आदेश (जीआर) के अनुसार, भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के सेवानिवृत्त अधिकारी सुधीर कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली समिति इस संबंध में अध्ययन कर तीन महीने के भीतर अपनी सिफारिशों के साथ रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।

महाराष्ट्र के परिवहन आयुक्त, मुंबई के संयुक्त पुलिस आयुक्त (यातायात), महानगर गैस लिमिटेड के प्रबंध निदेशक, महाराष्ट्र राज्य विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड (महावितरण) के परियोजना प्रबंधक, सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (एसआईएएम) के अध्यक्ष और संयुक्त परिवहन आयुक्त (प्रवर्तन-1) समिति में शामिल हैं।

जीआर के अनुसार, समिति को क्षेत्र के विशेषज्ञों को ‘फेलो’ सदस्य के रूप में शामिल करने और उनसे ‘फीडबैक’ लेने के अधिकार दिए गए हैं।

एमएमआर में ठाणे, रायगढ़ और पालघर जिलों के क्षेत्र भी शामिल हैं।

बंबई उच्च न्यायालय ने नौ जनवरी को स्वत: संज्ञान वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुंबई में बढ़ते यातायात और बढ़ते प्रदूषण से जीवन पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की।

उच्च न्यायालय ने कहा था कि वाहनों से निकलने वाला उत्सर्जन वायु प्रदूषण का प्रमुख स्रोत है और मुंबई में वाहनों की बढ़ती संख्या तथा प्रदूषण को नियंत्रित करने के मौजूदा उपाय अपर्याप्त साबित हो रहे हैं।

इसका संज्ञान लेते हुए, राज्य सरकार ने एमएमआर में पेट्रोल एवं डीजल से चलने वाले वाहनों पर प्रतिबंध लगाने, केवल सीएनजी एवं ‘इलेक्ट्रिक’ वाहनों को अनुमति देने की व्यवहार्यता पर अध्ययन करने और रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति गठित की।

अदालत ने इस बात पर गहन अध्ययन किए जाने की आवश्यकता पर बल दिया कि क्या ‘डीजल और पेट्रोल से चलने वाले वाहनों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करना उचित होगा’।

अदालत ने बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) और महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि लकड़ी और कोयले का उपयोग करने वाली शहर की बेकरी प्राधिकारियों द्वारा निर्धारित एक वर्ष की समय-सीमा के बजाय छह महीने के भीतर गैस या अन्य हरित ईंधन का उपयोग करने लगें।

भाषा यासिर अविनाश

अविनाश

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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)