मुंबई, पांच अक्टूबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को कहा कि मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलने से इसमें अनुसंधान और शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा।
केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मराठी और चार अन्य भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने को मंजूरी दिए जाने के दो दिन बाद मुंबई में एक समारोह को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि यह मराठी भाषा के लिए एक “स्वर्णिम क्षण” है।
प्रधानमंत्री ने कहा, “मराठी एक ऐतिहासिक भाषा है जिसके ज्ञान स्रोतों ने कई पीढ़ियों का मार्गदर्शन किया है। मराठी भाषा ने वर्षों से साहित्य, धर्म, सामाजिक सुधार, स्वतंत्रता आंदोलन आदि को दर्शाया है। संस्कृति, इतिहास, साहित्य और लोक कला भाषा से जुड़ी हुई हैं।”
उन्होंने कहा कि शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलने से मराठी भाषा में अनुसंधान और शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने मराठी भाषियों से यह सुनिश्चित करने की अपील की कि यह भाषा वैश्विक श्रोताओं तक पहुंचे।
मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि केंद्र सरकार ने हमेशा मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करने को प्रोत्साहित किया है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार, मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई मराठी भाषा में भी की जा सकती है।
उन्होंने कहा कि केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि अदालती फैसलों में मुख्य भूमिका मातृभाषा में दी जाए। उन्होंने कहा, “भाषा विचारों का माध्यम होनी चाहिए।”
यह देखते हुए कि अनुवाद भाषा की बाधा को तोड़ सकता है, मोदी ने दुनिया में भारतीय भाषाओं को लोकप्रिय बनाने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने का प्रस्ताव रखा।
मोदी ने कहा, “हर मराठी भाषी व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि वह भाषा के विकास में योगदान दे।”
अब तक भारत में छह शास्त्रीय भाषाएं थीं – तमिल, संस्कृत, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम और ओड़िया।
भाषा प्रशांत माधव
माधव
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