मुंबई, 10 नवंबर (भाषा) मध्यप्रदेश के खंडवा स्टेशन पर पिछले दिनों गश्त के दौरान रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के जवान ईश्वर चंद जाट और आरके त्रिपाठी को एक लड़का अकेला बैठा मिला।
बच्चे के दाहिने हाथ पर मोबाइल नंबर का ‘टैटू’ बना हुआ था और उस नंबर पर फोन करने से पता चला कि बच्चा मानसिक रूप से बीमार है और बार-बार रास्ता भूल जाता है।
आखिरकार, आरपीएफ ने सुमित नाम के बच्चे को उसके परिवार से मिलवाया।
अधिकारियों ने रविवार को बताया कि सुमित उन 861 बच्चों में से एक है, जिन्हें मध्य रेलवे (सीआर) ने अपने अभियान ‘नन्हे फरिश्ते’ के तहत पिछले सात महीनों में उनके परिवार से मिलाया है।
एक अधिकारी ने बताया कि सुमित की तरह स्वास्थ्य समस्याओं के अलावा बच्चे कई कारणों से रेलवे स्टेशनों पर अकेले रह जाते हैं, जिनमें पढ़ाई को लेकर डांट-फटकार, माता-पिता से झगड़ा, बेहतर जीवन की तलाश या मुंबई की चकाचौंध शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि अप्रैल से अक्टूबर के बीच मध्य रेलवे के अधिकारियों ने 589 लड़कों और 272 लड़कियों को उनके परिवारों से मिलवाया।
अधिकारी ने बताया, “हमारे आरपीएफ कर्मी गुमशुदा बच्चों से बात करते हैं, उन्हें परामर्श देते हैं और उनकी सुरक्षित घर वापसी कराते हैं। बच्चों के माता-पिता उनका (रेलवे कर्मियों का) बहुत आभार मानते हैं।”
भाषा जितेंद्र वैभव
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