मुंबई, 11 नवंबर (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार की वर्ष 2020 की उस प्रेस विज्ञप्ति को सोमवार को रद्द कर दिया, जिसमें ‘हैंड सैनेटाइजर’ को कीटाणुनाशक के रूप में वर्गीकृत किया गया था।
उच्च न्यायालय ने कहा कि वर्गीकरण का मुद्दा न्यायिक और अर्ध-न्यायिक निर्णय प्राधिकरणों के अधिकार क्षेत्र में आता है।
‘हैंड सैनेटाइजर’ को कीटाणुनाशक के रूप में वर्गीकृत किए जाने से उस पर 18 फीसदी की जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) दर लागू होने लगी।
न्यायमूर्ति एमएस सोनक और न्यायमूर्ति जितेंद्र जैन की खंडपीठ ने कहा कि प्रेस विज्ञप्ति अल्कोहल आधारित ‘हैंड सैनेटाइजर’ को वस्तुतः ‘कीटाणुनाशक’ के रूप में वर्गीकृत करने पर एक दृढ़ दृष्टिकोण व्यक्त करती है, न कि ‘दवाओं’ के रूप में।
खंडपीठ ने कहा कि वित्त मंत्रालय ने यह विज्ञप्ति जारी कर ‘न्यायिक और अर्ध-न्यायिक निर्णय प्राधिकरण को एक तरह से आदेश दिया कि वह अल्कोहल-आधारित सभी हैंड सैनेटाइजर को कीटाणुनाशक के रूप में वर्गीकृत करे, जिस पर 18 फीसदी की जीएसटी दर लागू होती है।’
खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि कोई भी उत्पाद किसी विशेष वर्ग या श्रेणी के अंतर्गत आता है या नहीं, यह तय करना केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम के प्रावधानों के तहत बनाए गए न्यायिक और अर्ध-न्यायिक निर्णय प्राधिकरणों के अधिकार क्षेत्र में आता है।
उसने कहा कि न्यायिक और अर्ध-न्यायिक निर्णय प्राधिकरणों को इन शक्तियों का इस्तेमाल स्वतंत्र रूप से और कार्यपालिका सहित किसी भी पक्ष के हस्तक्षेप के बिना करना चाहिए।
खंडपीठ ने कहा, ‘न्यायिक या अर्ध-न्यायिक निर्णय प्राधिकरणों को प्रभावित करने या उन्हें अपने कार्यों को विशेष तरीके से करने का निर्देश देने के उद्देश्य से जारी कोई भी प्रेस विज्ञप्ति या कार्यकारी आदेश उनके कार्यों में हस्तक्षेप करने जैसा होगा। इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती। संघ को इस हद तक कार्यकारी शक्तियां हासिल नहीं हैं।’
उसने कहा, ‘कार्यपालिका न्यायिक या यहां तक कि अर्ध-न्यायिक प्राधिकरणों के विशिष्ट अधिकार क्षेत्र में आने वाले कार्यों में दखल नहीं दे सकती है।’
उच्च न्यायालय हैंड सैनेटाइजर का उत्पादन करने वाली शुल्के इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें केंद्र की प्रेस विज्ञप्ति और उसके तहत जारी भुगतान नोटिस को चुनौती दी गई थी।
याचिका में मुंबई स्थित इस कंपनी ने दावा किया था कि सैनेटाइजर और एंटीसेप्टिक को ‘दवा’ के रूप में बेचा गया है, जिस पर जीएसटी दर कम है।
इसमें कहा गया था कि हालांकि, जुलाई 2020 में केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर अल्कोहल-आधारित हैंड सैनेटाइजर को ‘कीटाणुनाशक’ के रूप में वर्गीकृत करने का दावा किया, जिस पर 18 प्रतिशत की जीएसटी दर लगती है।
याचिका के मुताबिक, विज्ञप्ति का पालन करते हुए जीएसटी खुफिया महानिदेशालय ने याचिकाकर्ता कंपनी को अप्रैल 2023 में कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा कि उससे ब्याज और जुर्माने के साथ अंतर कर/शुल्क क्यों नहीं वसूला जाए।
कंपनी ने उच्च न्यायालय में दायर अपनी याचिका में उक्त प्रेस विज्ञप्ति और नोटिस को रद्द करने का अनुरोध किया था।
भाषा पारुल माधव
माधव
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