मुंबई, 31 अक्टूबर (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने अलग रह रहे पति को आत्महत्या के लिए उकसाने की आरोपी पत्नी और उसके कथित प्रेमी को यह कहते हुए अग्रिम जमानत दे दी कि मामले में प्रत्यक्ष रूप से उकसाया या भड़काया नहीं गया था।
न्यायमूर्ति आर एन लड्ढा की एकल पीठ ने 17 अक्टूबर को दिए अपने आदेश में कहा कि ऐसा कोई संकेत नहीं है कि आरोपी युगल ने ऐसे किसी ‘‘बाध्यकारी या दमनकारी प्रकृति’’ के आचरण में लिप्त थे, जिससे पति के पास आत्महत्या जैसा कदम उठाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा।
अदालत ने कहा, ‘‘प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि आवेदकों ने कोई ऐसा ठोस कदम नहीं उठाया जिसके कारण मृतक ने अपना जीवन समाप्त करने का दुखद निर्णय लिया।’’
पीठ ने अपने आदेश में रेखांकित किया कि आत्महत्या के लिए उकसाने से संबंधित प्रावधान के अनुसार, प्रत्यक्ष प्रलोभन या उकसावे की अनुपस्थिति में आरोपी व्यक्ति का दोष महज अटकलबाजी या संयोग से अधिक होना चाहिए।
अदालत ने कहा, ‘‘आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले के लिए न केवल परिस्थितिजन्य दबाव की उपस्थिति की आवश्यकता होती है, बल्कि उकसाने या उकसाने का प्रत्यक्ष और उद्देश्यपूर्ण कार्य भी आवश्यक होता है।’’
इसमें कहा गया है कि मृतक और उसकी पत्नी के बीच वैवाहिक कलह उसकी आत्महत्या से काफी पहले शुरू हो गई थी।
महिला और उसके कथित प्रेमी ने मृतक के पिता की शिकायत पर उनके खिलाफ दर्ज मामले में अग्रिम जमानत का अनुरोध करते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
भाषा धीरज माधव
माधव
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