मुंबई, 10 जनवरी (भाषा) बम्बई उच्च न्यायालय महाराष्ट्र में आर्द्रभूमि (वेटलैंड) के संरक्षण के लिए शुक्रवार को स्वत: संज्ञान लेकर एक जनहित याचिका पर विचार करना शुरू किया।
मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की खंडपीठ ने कहा कि वह उच्चतम न्यायालय के दिसंबर 2024 के आदेश के आधार पर याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें सभी उच्च न्यायालयों को देशभर में आर्द्रभूमि, जिसे रामसर स्थल भी कहा जाता है, के संरक्षण के लिए कार्यवाही शुरू करने को कहा गया है।
उच्च न्यायालय ने केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय (एमओईएफ), महाराष्ट्र सरकार और महाराष्ट्र आर्द्रभूमि प्राधिकरण को नोटिस जारी किया। साथ ही अदालत की सहायता के लिए वरिष्ठ वकील जनक द्वारकादास को न्यायमित्र नियुक्त किया।
पीठ ने मामले की सुनवाई 25 फरवरी के लिए निर्धारित की है।
आर्द्रभूमि (वेटलैंड) ऐसा भूभाग होता है जहां के पारिस्थितिकी तंत्र का बड़ा हिस्सा स्थाई रूप से या प्रतिवर्ष किसी मौसम में जल से संतृप्त हो या उसमें डूबा रहे।
उच्चतम न्यायालय ने दिसंबर 2024 में दिये अपने आदेश में कहा था कि इसरो के अनुसार 2017 से पहले भारत में 2.25 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल वाली आर्द्र भूमि की संख्या 2,01,503 थी, लेकिन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का नवीनतम आंकड़ा, जो 2021 का है, दिखाता है कि यह संख्या बढ़कर अब 2,31,195 हो गई है।
पीठ ने कहा था, ‘‘अब इन आंकड़ों को जमीनी स्तर पर जांचना होगा। आर्द्र भूमि (संरक्षण और प्रबंधन) नियम, 2017 और उसके तहत जारी दिशा-निर्देश बताते हैं कि ऐसी आर्द्र भूमि की पहचान के बाद अगला कदम ‘ग्राउंड ट्रुथिंग’ है।
‘ग्राउंड ट्रुथिंग’ राज्य द्वारा गठित एक टीम द्वारा इन आर्द्र भूमियों के वास्तविक निरीक्षण के लिए दिया गया है एक शब्द है।’’
भाषा
देवेंद्र माधव
माधव
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
खबर महाराष्ट्र अदालत सावरकर राहुल दो
59 mins agoखबर महाराष्ट्र अदालत सावरकर राहुल
1 hour agoबेस्ट बस दुर्घटना : अदालत ने चालक संजय मोरे की…
2 hours ago