मुंबई, 14 नवंबर (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को टिप्पणी की कि ‘हिट एंड रन’ दुर्घटना जैसे मामलों में आरोपी को गिरफ्तारी का आधार बताना एक ‘खोखली औपचारिकता’ होगी और इसका गैर-अनुपालन इतना मायने नहीं रखता।
अदालत ने मिहिर शाह की ओर से दायर रिहाई याचिकाओं पर अपना आदेश सुरक्षित रखते हुए यह टिप्पणी की। मिहिर शाह शिवसेना के एक पूर्व नेता का बेटा है, उस पर अपनी बीएमडब्ल्यू कार से यहां एक महिला को टक्कर मारने और उसकी मौत का कारण बनने का आरोप है। मिहिर के अलावा उसके चालक को भी आरोपी बनाया गया है।
शाह (24) और उसके चालक राजर्षि बिदावत की याचिकाओं में दावा किया गया है कि पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार करते समय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 50 का पालन नहीं किया।
इस धारा के अंतर्गत पुलिस को किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करते समय उस अपराध का पूरा विवरण बताना होता है जिसके लिए उसे गिरफ्तार किया जा रहा है।
न्यायमूर्ति भारती डांगरे और न्यायमूर्ति मंजूषा देशपांडे की खंडपीठ ने कहा कि वह कानून और इस मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित कई निर्णयों से अवगत है।
बंबई उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘दुर्घटना घटित हो चुकी है…लोगों को रंगे हाथों गिरफ्तार किया जा चुका है, फिर गिरफ्तारी के आधार का मुद्दा क्यों उठना चाहिए? महिला को टक्कर मारी गई…..कार वहीं थी। आरोपी इतनी जल्दी में था कि वह अपना फास्टैग कार्ड बांद्रा वर्ली सी लिंक टोल पर भूल गया।’’
अदालत ने कहा, ‘‘यह कैसे कहा जा सकता है कि गिरफ्तारी केवल इसलिए गलत है क्योंकि गिरफ्तारी के कारणों की जानकारी नहीं दी गई। हमारे हिसाब से यह एक खोखली औपचारिकता है।’’
न्यायाधीशों ने कहा कि प्रत्येक मामले के तथ्य और परिस्थितियां अलग-अलग हैं और तदनुसार ही उनसे निपटा जाना चाहिए।
पीठ ने कहा कि वह 21 नवंबर को अपना आदेश पारित करेगी।
मिहिर शाह को नौ जुलाई को गिरफ्तार किया गया था, गिरफ्तारी के दो दिन पहले उसने कथित तौर पर अपनी बीएमडब्ल्यू कार से मुंबई के वर्ली इलाके में एक दोपहिया वाहन को टक्कर मार दी थी, जिसमें कावेरी नखवा (45) की मौत हो गई थी और उनके पति प्रदीप घायल हो गए थे।
दुर्घटना के समय कार में मौजूद मिहिर के चालक बिदावत को भी कुछ घंटों बाद गिरफ्तार कर लिया गया। दोनों फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं।
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