आंध प्रदेश उच्च न्यायालय ने समलैंगिक दंपति के साथ रहने के अधिकार को बरकरार रखा |

आंध प्रदेश उच्च न्यायालय ने समलैंगिक दंपति के साथ रहने के अधिकार को बरकरार रखा

आंध प्रदेश उच्च न्यायालय ने समलैंगिक दंपति के साथ रहने के अधिकार को बरकरार रखा

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Modified Date: December 19, 2024 / 01:33 PM IST
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Published Date: December 19, 2024 1:33 pm IST

अमरावती, 19 दिसंबर (भाषा) आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने एक समलैंगिक जोड़े के साथ रहने के अधिकार को बरकरार रखा है और अपना साथी चुनने की उनकी स्वतंत्रता पर मुहर लगायी है।

न्यायमूर्ति आर रघुनंदन राव और न्यायमूर्ति के महेश्वर राव की पीठ कविता (बदला हुआ नाम) की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई कर रही थी। कविता ने आरोप लगाया है कि उसकी साथी ललिता (बदला हुआ नाम) को उसके पिता ने उसकी इच्छा के विरुद्ध हिरासत में लिया हुआ है और उसे नरसीपटनम स्थित अपने आवास पर रखा है।

पीठ ने मंगलवार को ललिता के माता-पिता को दंपत्ति के रिश्ते में हस्तक्षेप न करने का निर्देश दिया और कहा कि उनकी बेटी बालिग है और अपने निर्णय स्वयं ले सकती है।

यह दम्पति पिछले एक वर्ष से विजयवाड़ा में ‘एक साथ रह रहा है।’

कविता की ओर से पहले दर्ज करायी गयी गुमशुदगी की शिकायत के आधार पर पुलिस ने ललिता को उसके पिता के घर से बरामद किया और उसे मुक्त कराया। उसके बाद उसे 15 दिनों तक एक कल्याण गृह में रखा गया, हालांकि उसने पुलिस से गुहार लगाई कि वह बालिग है और अपने साथी के साथ रहना चाहती है।

ललिता ने सितंबर में अपने पिता के खिलाफ शिकायत भी दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उसके माता-पिता रिश्ते और अन्य मुद्दों को लेकर उसे परेशान कर रहे हैं।

पुलिस के हस्तक्षेप के बाद ललिता विजयवाड़ा वापस आ गई और काम पर जाने लगी और अक्सर अपने साथी से मिलने लगी।

हालांकि, ललिता के पिता एक बार फिर उसके घर आए और बेटी को जबरन ले गए। कविता ने अपनी बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में आरोप लगाया कि उन्होंने उसे ‘अवैध रूप से’ अपनी हिरासत में रखा है।

पिता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि उनकी बेटी का कविता और उसके परिवार के सदस्यों ने अपहरण कर लिया है।

कविता के वकील जदा श्रवण कुमार ने शीर्ष अदालत के पिछले फैसलों का हवाला देते हुए दलील दी कि बंदी ने याचिकाकर्ता के माता-पिता के साझा घर में याचिकाकर्ता के साथ रहने के लिए अपनी स्पष्ट सहमति व्यक्त की है और वह कभी भी अपने माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्यों के पास वापस नहीं जाना चाहेगी।

कुमार ने अदालत को यह भी बताया कि ललिता ने भी अपने माता-पिता के खिलाफ दर्ज शिकायत को वापस लेने की इच्छा व्यक्त की है, अगर उसे याचिकाकर्ता के साथ रहने की अनुमति दी जाए।

विजयवाड़ा पुलिस ने मंगलवार को अदालत के निर्देश के बाद ललिता को उच्च न्यायालय में पेश किया।

पीठ ने याचिका का निपटारा करते हुए यह भी टिप्पणी की कि ललिता के परिवार के सदस्यों के खिलाफ कोई आपराधिक कार्यवाही शुरू नहीं की जानी चाहिए क्योंकि वह शिकायत वापस लेने को तैयार हैं।

भाषा राजकुमार नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)