Fixed fees for school college | Private institutions will not be able to charge

स्कूल, कॉलेज के लिए फिक्स की गई फीस, मनमाना शुल्क नहीं वसूल पाएंगे संस्थान, इस प्रदेश में निर्देश जारी

आंध्र प्रदेश सरकार ने स्कूल, कालेज के लिये फीस निर्धारित कीस्कूल, कॉलेज के लिए फिक्स की गई फीस, मनमानी फीस नहीं वसूल पाएंगे निजी संस्थान, इस प्रदेश में निर्देश जारी

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 09:00 PM IST, Published Date : August 26, 2021/7:02 pm IST

अमरावती, 26 अगस्त । आंध्र प्रदेश स्कूल शिक्षा नियामक एवं निगरानी आयोग ने राज्य के स्कूलों और इंटरमीडिएट कॉलेजों के लिए 2021-22 से शुरू होने वाले तीन शैक्षणिक वर्षों के वास्ते शुल्क संरचना तय की है। आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) आर कांता राव ने बृहस्पतिवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यह पहली बार है जब आंध्र प्रदेश में स्कूल और कॉलेज की फीस को विनियमित किया जा रहा है, हालांकि कई अन्य राज्य पहले से ही ऐसा कर रहे हैं।उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायतों के स्कूलों में अधिकतम वार्षिक शिक्षण शुल्क प्राथमिक कक्षाओं के लिए 10,000 रुपये और उच्च कक्षाओं के लिए 12,000 रुपये निर्धारित किया गया है। उन्होंने कहा कि नगर पालिकाओं में यह क्रमश: 11,000 रुपये और 15,000 रुपये जबकि नगर निगमों में 12,000 रुपये और 18,000 रुपये है।

यह भी पढ़ेंइन दिनों नेट्स पर कम गेंदबाजी करता हूं और उसे मैचों के लिये बचाकर रखता हूं : एंडरसन

अध्यक्ष ने कहा कि पिछले एक साल में आयोग के सदस्यों ने कई शैक्षणिक संस्थानों का दौरा किया और अभिभावकों के साथ बातचीत के बाद शुल्क संरचना तय की। कांता राव ने कहा, “इसमें ट्यूशन, पंजीकरण, प्रवेश, परीक्षा, प्रयोगशाला, खेल, कंप्यूटर लैब, पुस्तकालय और अन्य शुल्क शामिल हैं। परिवहन और छात्रावास शुल्क वैकल्पिक थे, लेकिन उन्हें भी सीमित कर दिया गया है। ”

यह भी पढ़ेंअफगानिस्तान से भारत आ रहे सिख, हिंदू परिवारों को बसाने के लिए अमित शाह को पत्र

इंटरमीडिएट के लिए स्थान और विषयों के हिसाब से 12,000 रुपये से लेकर 24,000 रुपये तक की फीस तय की गई है। अध्यक्ष ने कहा कि किसी भी स्कूल या जूनियर कॉलेज द्वारा कोई प्रति-व्यक्ति शुल्क नहीं लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि 80 प्रतिशत संस्थानों को शुल्क संरचना में कोई समस्या नहीं होगी। उन्होंने कहा “शिक्षा व्यवसाय नहीं होना चाहिए। आयोग उन संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई करेगा जो बुनियादी ढांचागत सुविधाओं के बिना भी अधिक शुल्क लेते हैं। अगर कोई संस्था अतिरिक्त शुल्क लेती है तो अभिभावक आयोग में शिकायत दर्ज करा सकते हैं।”