आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री ने महिलाओं से अधिक बच्चे पैदा करने का आह्वान किया |

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री ने महिलाओं से अधिक बच्चे पैदा करने का आह्वान किया

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री ने महिलाओं से अधिक बच्चे पैदा करने का आह्वान किया

:   Modified Date:  October 21, 2024 / 08:19 PM IST, Published Date : October 21, 2024/8:19 pm IST

अमरावती, 21 अक्टूबर (भाषा) आंध्र प्रदेश की गिरती जन्म दर को लेकर मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने राज्य की महिलाओं से जनसंख्या स्थिर करने के लिए कम से कम दो बच्चे पैदा करने का आह्वान किया है।

इस टिप्पणी का कांग्रेस की आंध्र प्रदेश इकाई ने स्वागत किया है, जबकि सत्तारूढ़ युवजन श्रमिक रायतु कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) ने इस मामले पर मुख्यमंत्री के ‘दृष्टिकोण’ पर सवाल उठाया है।

नायडू ने कहा कि दक्षिण भारत में आबादी बूढ़ी हो रही है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक महिला को अपने जीवनकाल में दो से अधिक बच्चों को जन्म देना चाहिए।

चेन्नई में, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने भी जनसंख्या के मुद्दे को उठाया और इसे परिसीमन कवायद से जोड़ा।

आंध्र प्रदेश की जन्म दर प्रति महिला 2.1 जीवित जन्मों के प्रतिस्थापन स्तर से नीचे है। मुख्यमंत्री ने अमरावती में हाल में एक सार्वजनिक बैठक के दौरान कहा, ‘‘हमें अपनी जनसंख्या को प्रबंधित करने की आवश्यकता है। 2047 तक, हमारे पास जनसांख्यिकीय लाभांश होगा, अधिक युवा होंगे। 2047 के बाद, अधिक बूढ़े लोग होंगे… यदि दो से कम बच्चे (प्रति महिला) जन्म लेते हैं, तो जनसंख्या कम हो जाएगी। यदि आप (प्रत्येक महिला) दो से अधिक बच्चों को जन्म देती हैं, तो जनसंख्या बढ़ेगी।’’

उन्होंने कहा कि राज्य की जन्म दर गिरकर 1.6 हो गई है। उन्होंने आशंका जताई कि वर्तमान स्थिति जारी रहने से जन्म दर और गिरकर एक या उससे भी कम हो सकती है, जहां समाज में केवल ‘‘बूढ़े लोग ही दिखाई देंगे।’’

नायडू ने कहा, ‘‘भविष्य में ऐसी स्थिति से बचने के लिए सभी को अधिक बच्चे पैदा करना अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए। यह काम मैं (अधिक बच्चे पैदा करने का आह्वान) न केवल आपके लिए कर रहा हूं, बल्कि राष्ट्र के लिए, व्यापक भलाई के लिए कर रहा हूं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम कोई भी काम करके पैसा कमा सकते हैं, लेकिन हम तभी काम करेंगे, जब हमारे बच्चे होंगे या जनसंख्या बढ़ेगी।’’

यूरोप, जापान और अन्य क्षेत्रों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि ये देश बुजुर्ग होती आबादी की समस्या से जूझ रहे हैं, जहां वृद्धों की संख्या बढ़ रही है और युवाओं की संख्या घट रही है। नायडू ने तर्क दिया कि दक्षिण भारत भी ऐसी ही स्थिति का सामना कर रहा है।

वहीं, वाईएसआरसीपी के वरिष्ठ नेता जे. प्रभाकर राव ने नायडू के दृष्टिकोण के प्रभाव पर सवाल उठाया, जिसमें उन्होंने लोगों से करीब 10 साल पहले कम बच्चे पैदा करने और अब अधिक बच्चे पैदा करने के लिए कहा। राव ने ‘‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘उनके (नायडू) बारे में क्या कहा जाए। उनका एक ही बेटा है और उनके बेटे (नारा लोकेश) का भी एक ही बेटा है। वह दूरदर्शी व्यक्ति हैं।’’

वाईएसआरसीपी नेता ने कहा कि राज्य के लोगों ने नायडू की सलाह पर ध्यान देते हुए जन्म नियंत्रण का पालन नहीं किया। उन्होंने मुख्यमंत्री को सलाह दी कि वह अपनी तुलना किसी पूर्व चीनी नेता से न करें, जिनके अतीत में ऐसे आह्वान के सफल नतीजे मिले थे।

कांग्रेस की प्रदेश इकाई ने जनसंख्या बढ़ाने के नायडू के आह्वान का स्वागत किया। आंध्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी (एपीसीसी) के उपाध्यक्ष कोलानुकोंडा शिवाजी ने कहा कि मुख्यमंत्री ने दक्षिण भारत के सर्वोत्तम हितों को ध्यान में रखते हुए ऐसा आह्वान किया है।

शिवाजी ने कहा, ‘‘परिसीमन के तहत हमारे क्षेत्र (दक्षिण भारत) की संसद सीटें कम हो जाएंगी और वे उत्तरी राज्यों में जुड़ जाएंगी। इसलिए, इससे उबरने के लिए समय नहीं है। इसलिए, जब यहां की आबादी बढ़ेगी, तो हमारी सीटें हमारे पास होंगी।’’

इस बीच, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने कहा कि लोकसभा परिसीमन प्रक्रिया से कई दंपतियों के 16 (तरह की संपत्ति) बच्चों की तमिल कहावत की ओर वापस लौटने की उम्मीदें बढ़ सकती हैं, लेकिन नतीजे जो भी हों, लोगों को अपने बच्चों को तमिल नाम देना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘संसदीय परिसीमन प्रक्रिया से दंपतियों को अधिक बच्चे पैदा करने और छोटा परिवार का विचार छोड़ने के लिए प्रोत्साहन मिल सकता है। लेकिन परिणाम जो भी हों, लोग अपने बच्चों को तमिल नाम दें।’’

उन्होंने कहा कि अतीत में, बुजुर्ग नवविवाहित जोड़ों को 16 बच्चों का नहीं बल्कि 16 तरह की संपत्ति अर्जित करने और खुशहाल जीवन जीने का आशीर्वाद देते थे, जिसमें प्रसिद्धि, शिक्षा, वंश, धन आदि शामिल हैं। उन्होंने कहा कि धीरे-धीरे लोग खुशहाली के लिए परिवार छोटा रखने के महत्व को समझने लगे।

स्टालिन ने कहा, ‘‘उस आशीर्वाद का मतलब 16 बच्चे पैदा करना नहीं है…लेकिन अब ऐसी स्थिति पैदा हो गई है जहां लोगों को लगता है कि अब उन्हें सचमुच 16 बच्चे पैदा करने चाहिए, न कि एक छोटा और खुशहाल परिवार रखना चाहिए।’’

भाषा आशीष धीरज

धीरज

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)