मुंबई, 28 जनवरी (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के पद पर किसी अधिकारी की स्थायी नियुक्ति के अनुरोध वाली याचिका पर आदेश जारी करने से पहले वह भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के वरिष्ठ अधिकारी और मौजूदा कार्यवाहक डीजीपी संजय पांडेय का पक्ष सुनेगा।
मुख्य न्यायाधीश दीपंकर दत्ता और न्यायमूर्ति एम एस कर्णिक की खंडपीठ ने यह बात कही। इस सप्ताह की शुरुआत में पीठ ने मामले को समाप्त कर दिया था और कहा था कि पांडेय का पक्ष सुनने की कोई जरूरत नहीं है।
हालांकि बाद में अदालत के संज्ञान में यह बात आई कि याचिका में आईपीएस अधिकारी के खिलाफ सीधे आरोप लगाये गये हैं।
अदालत ने कहा, ‘‘मामले में हमारे फैसले को पढ़ते हुए हमारे सामने याचिका के कुछ पैराग्राफ आये जहां संजय पांडेय के खिलाफ कुछ सीधे-सीधे आरोप हैं। इसके मद्देनजर हम याचिका में प्रतिवादी के तौर पर संजय पांडेय को पक्ष बनाना उचित और जरूरी समझते हैं। हम पहले उनका पक्ष सुनेंगे और फिर हमारा फैसला सुनाएंगे।’’
अदालत ने फैसले के लिए मामले को सुरक्षित रखने के अपने 25 जनवरी के आदेश को दोहराया। पीठ ने शुक्रवार को पांडेय को निर्देश दिया था कि याचिका पर चार फरवरी तक अपना हलफनामा दायर करें।
पीठ ने मामले को अगली सुनवाई तक स्थगित करते हुए कहा कि महाराष्ट्र सरकार और संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) भी चाहें तो हलफनामा दाखिल करें।
अदालत शहर के वकील दत्ता माने की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें राज्य सरकार को डीजीपी के पद पर स्थायी नियुक्ति करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
माने के वकील अभिनव चंद्रचूड़ ने दलील दी थी कि उच्चतम न्यायालय के फैसले के अनुसार राज्य के शीर्ष पुलिस अधिकारी के पद को कार्यवाहक नहीं रखा जा सकता और 2006 की व्यवस्था के अनुसार न्यूनतम कार्यकाल संबंधी अर्हताएं पूरी करने वाले अधिकारी को नियुक्त किया जाना चाहिए।
भाषा वैभव माधव
माधव
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