लातूर (महाराष्ट्र), दो जनवरी (भाषा) राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने बृहस्पतिवार को कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) देश के हितों के साथ-साथ कौशल आधारित शिक्षा को प्राथमिकता देती है और इसने ब्रिटिश प्रशासक लॉर्ड मैकाले द्वारा पेश की गई नीति को हटा दिया है। उन्होंने कहा कि मैकाले की शिक्षा नीति का उद्देश्य भारतीय संस्कृति को उखाड़ फेंकना था और सिर्फ क्लर्क (लिपिक) पैदा करना था।
लातूर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के 59वें देवगिरि क्षेत्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद बागडे ने यह भी कहा कि छात्रों को आत्मनिर्भर बनना चाहिए, अपनी बौद्धिक और शारीरिक क्षमताओं का विकास करना चाहिए तथा सेवा की भावना पैदा करनी चाहिए।
बागडे ने कहा, ‘‘थॉमस मैकाले द्वारा शुरू की गई शिक्षा प्रणाली का उद्देश्य भारतीय संस्कृति को उखाड़ फेंकना और ‘क्लर्क’ पैदा करना था। इस पुरानी प्रणाली की जगह अब एनईपी ने ले ली है, जिसे 1,400 विशेषज्ञों द्वारा तैयार किया गया है। यह राष्ट्रीय हितों और कौशल आधारित शिक्षा को प्राथमिकता देता है। यह सुनिश्चित करती है कि प्रतिभावान लोग भूखे न रहें।’’
मैकाले की ‘भारतीय शिक्षा नीति’ मुख्य रूप से देश में पश्चिमी संस्थागत शिक्षा की शुरूआत करने और आधिकारिक उद्देश्यों के लिए अंग्रेजी के उपयोग के लिए जिम्मेदार रही।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सराहना करते हुए राजस्थान के राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री का सपना भारत को विश्व का अग्रणी राष्ट्र बनाने का है। उन्होंने कहा कि यह मिशन युवाओं की शक्ति और क्षमता पर निर्भर करता है।
सम्मेलन में महाराष्ट्र के मराठवाड़ा और खानदेश क्षेत्र के एबीवीपी प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
भाषा सुरभि पवनेश
पवनेश
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