History of Akhadas : अखाड़ों का सदियों पुराना इतिहास

History of Akhadas : हिंदू धर्म में अखाड़ों की ये है मान्यता, आर्मी की तरह हथियारों से लैश होती है इनकी सेना, जानें इनका सदियों पुराना इतिहास

History of Akhadas : हिंदू धर्म में अखाड़ों की ये है मान्यता, आर्मी की तरह हथियारों से लैश होती है इनकी सेना, जानें इनका सदियों पुराना इतिहास | Maha Kumbh 2025

Edited By :  
Modified Date: December 23, 2024 / 01:35 PM IST
,
Published Date: December 23, 2024 1:30 pm IST

History of Akhadas : सनातन धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए नागा साधुओं की फौज तैयार करता है। इनको अस्त्र-शस्त्र के साथ शास्त्र की शिक्षा दी जाती है। मान्यता है कि धर्म की रक्षा के लिए इसकी शुरुआत आदि शंकराचार्य ने छठवीं शताब्दी में की थी। कुल 7 अखाड़ों की स्थापना के साथ शुरू हुई परंपरा अब धीरे-धीरे 13 अखाड़ों तक पहुंच चुकी है। सबसे अधिक साधुओं वाला अखाड़ा जूना अखाड़ा है।

read more : Ayushman Card Kaise Banaye 2024 : अब घर बैठें खुद बनाएं आयुष्मान कार्ड.. इन दस्तोवेजों की पड़ेगी जरूरत, देखें पूरी प्रोसेस

 

जूना अखाड़े की स्थापना

जूना अखाड़ा की स्थापना 8वीं शताब्दी में हुई थी। आदि शंकराचार्य ने इसकी स्थापना की थी। आदि शंकराचार्य एक महान हिंदू दार्शनिक और संत थे। जिन्होंने हिंदू धर्म के अद्वैत वेदांत दर्शन को पुनर्जीवित किया था। इस अखाड़े में 5 लाख नागा सन्यासी और महामंडलेश्वर हैं। 12वीं शताब्दी में, जूना अखाड़ा ने अपनी पूरी शक्ति के साथ विकसित किया। अखाड़े में कई साधु-संत और महंत रहते हैं। जो धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों में लगे रहते हैं। सरकारी दस्तावेजों में इसका रजिस्ट्रेशन 1860 में कराया गया। शाही स्नान के समय अखाड़ों में होने वाले मतभेद को देखते हुए 1954 में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का गठन भी किया गया। जूना अखाड़े का हेड क्वार्टर या मुख्य मठ वाराणसी के हनुमान घाट में स्थित है।

 

अखाड़ों की संख्या

वर्तमान में हिंदू साधु-संतों के 13 अखाड़े हैं। इनमें शैव सन्यासी संप्रदाय के 7 अखाड़े इनमें से जूना अखाड़ा सबसे बड़ा है। वैरागी वैष्णव संप्रदाय के 3 अखाड़े, उदासीन संप्रदाय के 4 अखाड़े हैं। शैव अखाड़े जो भगवान शिव की भक्ति करते हैं। वैष्णव अखाड़े भगवान विष्णु की भक्ति करते हैं। उदासीन अखाड़े पंचतत्व यानी धरती, अग्नि, वायु, जल और आकाश की उपासना करते हैं। सभी 13 अखाड़ों की एक परिषद होती है। इसमें हर अखाड़े से दो-दो प्रतिनिधि होते हैं। ये सभी मिलकर अखाड़ों में समन्वय स्थापित करते हैं।

अखाड़ों को बनाने का मकसद

हिंदू धर्म और वैदिक संस्कृति की रक्षा करना था। बताया जाता है कि जब बौद्ध संप्रदाय और अन्य संप्रदायों का वर्चस्व बढ़ता जा रहा था और सनातन धर्म पर अत्याचार हो रहे थे, तब आदि गुरु शंकराचार्य ने मठ-मंदिरों को तोड़े जाने से बचाने के लिए अखाड़ों की स्थापना की। साधु-संन्यासियों को नागा साधु के रूप में तैयार कर उन्हें शस्त्र के साथ शास्त्र की शिक्षा देकर मजबूत बनाया। धर्म की रक्षा के लिए नागा साधुओं की एक सेना के रूप में अखाड़ों को तैयार किया गया।

 

अखाड़े में पद

हर अखाड़े के मुख्य मठ में अलग-अलग पदों पर नियुक्ति होती है जो इस प्रकार हो सकती है- महामंडलेश्वर, श्री महंत, अष्ट कौशल महंत, थानापति, श्रीमहंत थानापति, सभापति, रमता पंच, शम्भू पंच, भंडारी, कोतवाल, कोठारी, कारोबारी, पुजारी, यह सभी पदों पर नियुक्तियां मठ के कामकाज और अन्य देखरेख के लिए होती हैं। जिस पद पर जिस साधु संन्यासी की नियुक्ति होती है। उस क्षेत्र में किए गए कार्य और लिया गया फैसला उसका ही मान्य होता है। महामंडलेश्वर, अखाड़ों का सबसे बड़ा पद माना जाता है। बिना उसकी अनुमति के निर्धारित कार्य क्षेत्र में कोई न दखलअंदाजी कर सकता है और न कोई प्रवेश कर सकता है।

अखाड़े में महामंडलेश्वर कौन होते हैं?

महामंडलेश्वर, अखाड़ों का सबसे बड़ा पद माना जाता है। इन्हीं में से एक उपाधि होती है महामंडलेश्वर, इस उपाधि को शंकराचार्य के बाद सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। ये एक बड़ी जिम्मेदारी होती है और इसके लिए आपको वेदांत की शिक्षा आनी चाहिए। वर्तमान में पंचदशनाम जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी जी महाराज है। कहा जाता है कि वह अब तक एक लाख संन्यासियों को दीक्षा दे चुके हैं। उनसे देश और विदेश के कई शिष्य जुड़े हुए हैं।

 

RSS प्रमुख मोहन भागवत ने मुस्लिम धार्मिक स्थलों पर हिन्दू धर्मस्थल होने के दावों की आलोचना करते हुए इसे कुछ लोगों द्वारा खुद को हिंदूवादी नेता के तौर पर स्थापित करने की कोशिश करार दिया है | इस मुद्दे पर आपकी क्या राय है –
क्या विवादित मुस्लिम धर्म स्थलों का सर्वे होना चाहिए?

IBC24 की अन्य बड़ी खबरों के लिए हमारे फेसबुक फेज को भी फॉलो करें

IBC24 की अन्य बड़ी खबरों के लिए यहां क्लिक करें

Follow the IBC24 News channel on WhatsApp

अखाड़ों का इतिहास क्या है?
अखाड़ों की परंपरा की शुरुआत आदि शंकराचार्य ने छठवीं शताबदी में की थी। उनका उद्देश्य सनातन धर्म की रक्षा करना था, जब बौद्ध संप्रदाय और अन्य संप्रदायों का वर्चस्व बढ़ रहा था और सनातन धर्म पर अत्याचार हो रहे थे। उन्होंने नागा साधुओं की एक सेना तैयार की और उन्हें शस्त्रों के साथ शास्त्रों की शिक्षा दी।

जूना अखाड़ा कब स्थापित हुआ था?
जूना अखाड़ा की स्थापना 8वीं शताबदी में आदि शंकराचार्य द्वारा की गई थी। यह अखाड़ा आज भारत का सबसे बड़ा अखाड़ा है और इसमें 5 लाख नागा साधु और महामंडलेश्वर शामिल हैं।

महामंडलेश्वर का क्या मतलब है?
महामंडलेश्वर अखाड़े का सबसे बड़ा पद होता है। यह पद शंकराचार्य के बाद सर्वोच्च माना जाता है और इसके लिए वेदांत की गहरी शिक्षा जरूरी होती है। वर्तमान में जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी जी महाराज हैं।

अखाड़े में कौन से पद होते हैं?
अखाड़े में कई पद होते हैं जैसे महामंडलेश्वर, श्री महंत, थानापति, सभापति, भंडारी, कोतवाल, पुजारी आदि। ये सभी पद अखाड़े के कार्यों और प्रबंधन से जुड़े होते हैं।

नागा साधु क्या होते हैं?
नागा साधु वे संत होते हैं जो सनातन धर्म की रक्षा के लिए शस्त्रों के साथ शास्त्रों की शिक्षा प्राप्त करते हैं। इन साधुओं को खासतौर पर धर्म की रक्षा के लिए तैयार किया जाता है और ये युद्ध कला में भी निपुण होते हैं।

 
Flowers