Mahakumbh 2025 Update

Mahakumbh 2025: महाकुंभ में महामंडलेश्वरों के लिए बने अलग कॉटेज, पहले दिन के शाही स्नान में एक लाख से भी अधिक साधु संत होंगे शामिल

Mahakumbh 2025: महाकुंभ में महामंडलेश्वरों के लिए बने अलग कॉटेज, पहले दिन के शाही स्नान में एक लाख से भी अधिक साधु संत होंगे शामिल

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Modified Date: January 9, 2025 / 08:08 PM IST
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Published Date: January 9, 2025 8:08 pm IST

प्रयागराज। Mahakumbh 2025:  उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में दुनिया का सबसे बड़ा मेला महाकुंभ शुरू होने वाला है। प्रयागराज में त्रिवेणी के पावन तट पर आस्था का महाकुंभ 13 जनवरी से शुरू हो रहा है। एक तरफ जहां महाकुंभ में देश विदेश से आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं और सैलानियों के लिए ठहरने, खाने-पीने, सुरक्षा आदि के इंतजाम किये जा रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ महाकुंभ के खास मेहमान और वैभव कहे जाने वाले अखाड़ों के शाही स्नान के लिए राजसी पथ तैयार करने का काम शुरु हो चुका है। खास तौर पर साधु संतों के लिए तैयार इस पथ पर आम लोगों के प्रवेश पर पाबंदी होगी। राजसी पथ पर कारपेट और फूल बिछाए जाएंगे। सुरक्षा के लिए लिहाज से दोनों ओर बैरिकेट्स भी तैयार किए जा रहे हैं ताकि शाही स्नान के दौरान भगदड़ की स्थिति निर्मित ना हो।

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प्रयागराज में महाकुंभ शुरू होने के लिए अब सिर्फ 3 दिन शेष रह गए हैं। महाकुंभ का पहला शाही स्नान 13 जनवरी को कल सुबह होगा। अखाड़ों के नागा संन्यासी और फिर साधु संत और महामंडलेश्वर प्रथम शाही स्नान करेंगे। ऐसे में शाही स्नान पर जाने वाले इन खास मेहमानों के लिए खास तैयारी की जा रही है। साधु संतों के लिए अखाड़े से संगम तट पर जाने के लिए सेपरेट कॉरिडोर बनाया गया है। अखाड़े की ओर से एक अलग पीपा पुल के जरिए साधु संत गंगा की दूसरी ओर पहुंचेंगे। यहां से संगम नोज तक जाने के लिए राजसी पथ तैयार किया जा रहा है जहां रेड कार्पेट और फूल बिछाए जाएंगे। इसी राजसी पथ के जरिए अखाड़ों के संत, महंत, महामंडलेश्वर, जगद्गुरु और नागा संन्यासियों के साथ आचार्य महामंडलेश्वर संगम नोज पर त्रिवेणी की पुण्य जल धारा में अमृत स्नान के लिए ऊंट, घोड़े, रथ और पालकी में सवार होकर रवाना होंगे।

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Mahakumbh 2025: माना जा रहा है की शाही स्नान में एक लाख से अधिक साधु संत शामिल होंगे। लिहाजा उनके आने और जाने के लिए अलग अलग मार्ग तय किया गया है। राजसी पथ के अगल-बगल बैरिकेटिंग का घेरा होगा, ताकि बैरिकेटिंग के बाहर से श्रद्धालु अखाड़ों के साधु संतों के दर्शन कर सकें। इसके अलावा अखाड़ों के शिविर से सटे हुए पांटून पुल भी साधू सन्यासियों के लिए रिजर्व रहेंगे। संगम तट पर अखाड़ों के स्नान की सारी जरूरी तैयारियां लगभग पूरी कर ली गई हैं। बैरिकेटिंग से लेकर प्लेट तक बिछाई जा चुकी है।

 

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