Mahamandaleshwar Hiteshwarananda Saraswati: For the first...

Mahamandaleshwar Hiteshwarananda Saraswati : प्रयागराज महाकुंभ में पहली बार मेवाड़ के इस सन्यासी को मिला महामंडलेश्वर की उपाधि, सम्मान मिलते ही कह दी यह बड़ी बात

प्रयागराज महाकुंभ में पहली बार मेवाड़ के सन्यासी को मिला....Mahamandaleshwar Hiteshwarananda Saraswati: For the first time in...

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Reported By: Harpreet Kaur

Modified Date: January 28, 2025 / 12:07 PM IST
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Published Date: January 28, 2025 12:06 pm IST

भोपाल : Mahamandaleshwar Hiteshwarananda Saraswati प्रयागराज महाकुंभ में स्वामी हितेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज को महामंडलेश्वर की उपाधि से विभूषित किया गया है। मेवाड़ क्षेत्र से पहली बार एक संन्यासी को यह सम्मान प्राप्त हुआ है, जिससे संत समाज और स्थानीय लोग खासे उत्साहित हैं। स्वामी हितेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज को यह प्रतिष्ठित उपाधि महानिर्वाणी पंचायती अखाड़ा द्वारा प्रदान की गई, और उनका पट्टाभिषेक पूरी विधि-विधान से किया गया। महामंडलेश्वर की उपाधि मिलने के बाद, स्वामी हितेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज ने समाज के लिए अपने कार्यों को और भी मजबूत करने का संकल्प लिया। उनका योगदान सनातन धर्म को बढ़ावा देने में अहम रहा है और वे समाज के धार्मिक और सामाजिक कार्यों में अग्रणी रहे हैं।

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महामंडलेश्वर बनने की प्रक्रिया

Mahamandaleshwar Hiteshwarananda Saraswati महामंडलेश्वर बनने के लिए संन्यासियों को धार्मिक और सामाजिक कार्यों में महत्वपूर्ण योगदान देने की आवश्यकता होती है। उनके पट्टाभिषेक के बाद, उन्हें इस उपाधि से नवाजा जाता है और उनके ऊपर समाज की कई जिम्मेदारियां भी आ जाती हैं। यह उपाधि केवल उन व्यक्तित्वों को दी जाती है, जो अपने कार्यों से समाज में एक सकारात्मक बदलाव लाते हैं और धार्मिक जीवन को आगे बढ़ाते हैं।

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महामंडलेश्वर की उपाधि किसे दी जाती है?

महामंडलेश्वर की उपाधि उन संन्यासियों को दी जाती है जिन्होंने अपने जीवन में समाज में धार्मिक और सामाजिक कार्यों में महत्वपूर्ण योगदान दिया हो।

स्वामी हितेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज को महामंडलेश्वर क्यों बनाया गया?

स्वामी हितेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज को उनके समाजिक कार्यों और सनातन धर्म को मजबूत करने के योगदान के कारण महामंडलेश्वर की उपाधि से विभूषित किया गया।

महाकुंभ में पट्टाभिषेक का क्या महत्व है?

महाकुंभ में पट्टाभिषेक एक महत्वपूर्ण धार्मिक क्रिया है, जिसमें संन्यासी को सम्मानित किया जाता है और उन्हें समाज की जिम्मेदारी निभाने के लिए उपाधि दी जाती है।

महामंडलेश्वर बनने के बाद जिम्मेदारियाँ क्या होती हैं?

महामंडलेश्वर बनने के बाद व्यक्ति पर धार्मिक और समाजिक कार्यों की जिम्मेदारी होती है। उन्हें समाज के धार्मिक कर्तव्यों को निभाने, सनातन धर्म को बढ़ावा देने और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए सक्रिय रहना होता है।

महामंडलेश्वर का पद समाज में क्या भूमिका निभाता है?

महामंडलेश्वर का पद समाज में धार्मिक मार्गदर्शन और नेतृत्व का प्रतीक होता है। यह व्यक्ति समाज में संतुलन और आध्यात्मिक जागरूकता फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।